पाठ – 3
समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
This post is about the detailed notes of class 12 Political Science Chapter 3 Samkalin vishwa me ameriki varchasva (US Hegemony in Contemporay World)in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Political Science as a subject and studying in class 12thfrom CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 राजनितिक विज्ञान अध्याय 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में राजनितिक विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व (US Hegemony in Contemporay World) |
Category | Class 12 Political Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
वर्चस्व क्या है?
वर्चस्व का मतलब ऐसी स्तिथि है जिसमे कोई देश विश्व में बाकि देशो के मुक़ाबले ज़्यादा मजबूत स्तिथि में हो, अमेरिकी वर्चस्व का मतलब भी ऐसी ही एक स्तिथि है। जिसमे अमेरिका विश्व में बाकि देशो के मुक़ाबले ज़्यादा ताक़तवर स्तिथि में था। यह ताक़त आर्थिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में थी।
ऐसी स्तिथि बनी क्यों ?
शीतयुद्ध के दौरान जब विश्व में दो महाशक्तियां अमेरिका तथा सोवियत संघ थी, तब शक्ति का संतुलन बना रहता था पर सोवियत संघ के विघटन के बाद जब विश्व में सिर्फ एक ही देश यानि अमेरिका रह गया तब विश्व में शक्ति का संतुलन समाप्त हुआ और अमेरिका एक अकेली महाशक्ति बन गया और एक ऐसी स्तिथि आ गयी की वह विश्व में कोई भी काम अपनी मर्ज़ी से कर सकता था, और उसे रोकने वाला कोई नहीं था। इस स्तिथि को ही अमेरिकी वर्चस्व कहते है।
ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म
- अगस्त 1990 में इराक ने कुवैत पर कब्जा कर लिया
- इराक को समझाने की बहुत कोशिश की गई परंतु इराक नहीं माना
- ना मानने की वजह से UNO ने एक नाटकीय फैसला लिया और इराक पर बल प्रयोग की अनुमति दे दी
- UNO के इस अभियान को ही ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म कहा जाता है
- UNO की सेना को इराक पर हमला करने के लिए भेजा गया। ये सेना वैसे तो 34 देशो की मिली जुली सेना थी पर इसमें 75% सैनिक अमेरिका के थे। इस सेना के जरनल भी अमेरिकी थे।
- सद्दाम हुसैन जो उस समय इराक के राष्ट्रपति थे उन्होंने कहा की यह जंग सौ जंगो की एक जंग होगी मतलब की उन्हें हराना बहुत मुश्किल होगा पर ऐसा कुछ हुआ नहीं, इराक बड़े ही आराम से कुछ ही दिनों में हर गया और उसे कुवैत से हटाना पड़ा।
- इस युद्ध के दौरान अमेरिका ने अपनी शक्तियों का खुला प्रदर्शन किया। इस युद्ध में अमेरिका ने स्मार्ट बमो का प्रयोग किया इसीलिए इसे कंप्यूटर युद्ध भी कहा जाता है साथ ही साथ इस युद्ध का टीवी पर लाइव प्रसारण किया गया जिस वजह से इसे वीडियो गेम वॉर कहा गया।
- UNO द्वारा लिए गए इस फैसले को नाटकीय इसीलिए कहा गया क्योकि उससे पहले कभी भी UNO द्वारा कोई इस तरह का निर्णय नहीं लिया गया था।
ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच
- 1998 में दो अमेरिकी दूतावासों नैरोबी तथा दारेसलाम पर हमला हुआ, इस हमले के लिए आतंकवादी सगठन अलकायदा को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके जवाब में अमेरिका द्वारा ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच शुरू किया गया ।इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य अलकायदा से हमले का बदला लेना था। इस ऑपरेशन के तहत अलकायदा के ठिकानो पर क्रूज मिसाइल से हमला किया गया और इस हमले के लिए UNO की अनुमति भी नहीं ली गई। इन हमलो की वजह से कई बेगुनाह लोग भी मारे गए जिस वजह से अमेरिका की काफी आलोचना भी की गई।
ऑपरेशन एन्ड्यूरिंग फ्रीडम
- 11 सितम्बर 2001 को अलग अलग अरब देशो के लगभग 19 अपहरकर्ताओ ने अमरीका के 4 विमानों पर कब्ज़ा कर लिया। वह इन विमानों को अमेरिका की मुख्या इमारतों की तरफ सीधा उड़ा कर ले गए। इनमे से दो विमान न्यूयोर्क में स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी और दक्षिणी टावर से टकराये। तीसरा विमान वर्जीनिया में स्तिथ पेंटागन से टकराया जहाँ अमेरिका का रक्षा मुख्यालय है। चौथे विमान को अमेरिकी कांग्रेस की मुख्य इमारत से टकराना था पर वह पेंसिल्वेनिया के एक खेत में गिर गया। इस हमले को नाइन एलेवेन कहा गया।
9/11 के परिणाम
- अमेरिका पर अब तक का सबसे बड़ा हमला
- लगभग 3000 लोगो की मौत
- ऑपरेशन एन्ड्यूरिंग फ्रीडम की शुरुआत
यह उन सभी लोगो के खिलाफ चलाया गया जिन पर 9/11 का शक था इसका मुख्य निशाना अलकायदा और तालिबान था। इस ऑपरेशन के तहत अमेरिका ने पुरे विश्व में गिरफ्तारियां की। लोगो को ख़ुफ़िया जेल खानो में रखा गया और किसी को भी इन बंदियों से मिलने की अनुमति नही दी गई।
ऑपरेशन इराकी फ्रीडम
19 मार्च 2003 को अमेरिका ने ऑपरेशन इराकी फ्रीडम शुरू किया। इसमें एक सेना बनाई गई जिसमे 40 से ज्यादा देशो की सेना शामिल थी। इस सेना को ‘कॉअलिशन ऑफ़ वीलिंग्स यानि आकांक्षियो का महाजोट’ कहा गया। इस सेना को इराक पर हमला करने के लिए बनाया गया था। अमेरिका द्वारा कहा गया की इस सेना को इराक में बन रहे सामूहिक संहार के हथियारों को ख़त्म करने और उनके उत्पादन पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है, पर हमले के बाद इराक में कोई भी हथियार नहीं मिले। इसीलिए ऐसा मन गया की इस हमले का मुख्या उद्देशय इराक के तेल संसाधनों पर कब्ज़ा करना था। इस हमले के लिए अमरीका ने UNO की अनुमति लेना भी ज़रूरी नहीं समझा।
ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के परिणाम
- इराक में अमेरिका के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत।
- अमेरिका के लगभग 3000 तथा इराक के बहुत सारे सैनिक इस युद्ध में मरे गए।
- अमेरिका के इस कदम की सबने आलोचना की
अमेरिका का वर्चस्व
आर्थिक वर्चस्व
विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
- वर्तमान में अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है अर्थव्यवस्था का यह विशाल आकार अमेरिका के आर्थिक वर्चस्व का प्रतीक है
हर क्षेत्र की सबसे बड़ी तीन कंपनियों में से एक हमेशा अमेरिका की
- विश्व के हर क्षेत्र में स्थित सभी कंपनियों में से सबसे बड़ी तीन कंपनियों में से एक कंपनी हमेशा अमेरिका की रही है
डॉलर का वर्चस्व
- विश्व की सभी मुद्राओं की कीमत का निर्धारण डॉलर के आधार पर किया जाता है जिस वजह से अमेरिकी डॉलर सबसे मजबूत मुद्राओं में से एक है
सभी बड़े अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में महतवपूर्ण भूमिका
- विश्व के सभी बड़े अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों में अमेरिका की एक महत्वपूर्ण भूमिका है और वह विश्व की आर्थिक नीतियों को प्रभावित करने की ताकत रखता है
सैन्य वर्चस्व
विश्व की सबसे बड़ी सेना
- वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी सेना अमेरिका के पास है
अपने से नीचे के 12 देशो से भी अधिक सैन्य खर्चा
- अमेरिका अपनी सेना पर उससे नीचे के 12 देशों के द्वारा किए गए कुल खर्चे से भी ज्यादा खर्चा करता है
विश्व में कही भी वार कर सकने की क्षमता
- अमेरिका की सेना केवल संख्यात्मक रूप से ज्यादा नहीं है बल्कि उसकी क्षमता और उसकी गुणवत्ता भी विश्व में सबसे अधिक है
संख्या और गुण दोनों में सबसे आगे
- अमेरिका की सैन्य क्षमता केवल संख्या के आधार पर ही ज़्यादा नहीं है बल्कि गुणवत्ता के मामले में भी अमेरिकी सेना विश्व की सबसे ताकतवर सेनाओ में से एक है।
ढांचागत वर्चस्व
MBA की डिग्री
- विश्व में प्रसिद्ध MBA की डिग्री की शुरुआत अमेरिका द्वारा ही की गई थी
- वर्तमान में यह डिग्री विश्व में सबसे उच्च स्तरीय डिग्रियों में से एक है
समुंद्री मार्गो पर नियंत्रण
- वर्तमान में स्थित सभी समुद्र मार्गों का रखरखाव और उन पर नियंत्रण अमेरिका द्वारा ही किया जाता है
इंटरनेट की निर्भरता
- वर्तमान में पूरा विश्व इंटरनेट पर निर्भर है और इस इंटरनेट का संचालन अमेरिकी उपग्रहों के एक विशाल समूह द्वारा किया जाता है
सभी बड़े संगठनों की मुख्यालय अमेरिका में
- विश्व में स्थित सभी बड़े अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का मुख्यालय अमेरिका में ही स्थित है और इनमें काम करने वाले अधिकतर कर्मचारी अमेरिकी ही है
सांस्कृतिक वर्चस्व
अमेरिकी रहन सहन का बाकि देशो पर प्रभाव
- विश्व में स्थित लगभग सभी देशों के लोग अमेरिकी रहन-सहन के तरीकों से प्रभावित हैं एवं अमेरिका के लोगों जैसे जीवन शैली को अपनाना चाहते हैं
नीली जीन्स
- विश्व भर में प्रसिद्ध नीली जींस की शुरुआत अमेरिका से ही हुई थी
अमरीकियों की तरह जीने की इच्छा
- वर्तमान में विश्व के किसी भी हिस्से में रहने वाला व्यक्ति अमेरिकी जीवन शैली की तरह जीवन जीना चाहता है
- उपरोक्त सभी तथ्य विश्व में अमेरिका के वर्चस्व को दर्शाते हैं
अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में अवरोध
- अमेरिका की संस्थागत बनावट उसके वर्चस्व के रस्ते में सबसे बड़ी बाधा है। अमेरिका में शक्तियाँ, शासन के तीनो अंगो के बीच में बटी हुई है। इसी वजह से कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्तियों का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जा सकता।
अमरीकी समाज
- अमेरिका समाज यानि अमेरिका के लोग शिक्षित एवं जागरूक है इसी वजह से वह अमेरिकी द्वारा सैन्य शक्तियों के गलत प्रयोग का विरोध कर अमेरिका की मनमानियों को रोक सकते है।
नाटो
- नाटो अमेरिका का संगठन है। इस संगठन के साथ अमेरिका के आर्थिक हित जुड़े हुए है। इस वजह से इस संगठन के देश अमेरिका को कुछ गलत करने से रोक सकते है और अमेरिकी वर्चस्व पर लगाम लगा सकते है।
अमेरिकी वर्चस्व से कैसे निपटे ?
बैंड वेगन नीति
- बैंड वेगन का मतलब होता है की जिधर की तरफ की हवा चले उधर की तरफ चल पड़ो यानि की अगर अभी अमेरिका का वर्चस्व है तो उसके साथ रहो और उसके वर्चस्व का फ़ायदा उठाओ।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से छुपना
- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से चुप जाना भी वर्चस्व से बचने का एक तरीका हो सकता है यानि की खुद को अमेरिका से इतना दूर कर लो की उसके किसी कार्य का आप पर कोई प्रभाव ही न पड़े। पर यह नीति छोटे देशो के लिए अच्छी हो सकती है पर भारत जैसे बड़े देश क लिए ऐसा करना लगभग असंभव है।
भारत, रूस और चीन का गठबंधन
- बहुत से विद्वान ऐसा मानते है की भारत, रूस और चीन गठबंधन बना कर अमेरिका की शक्ति को संतुलित कर सकते है। पर इस गठबंधन का बनना संभव नहीं लगता क्योकि इन तीनो देशो के बीच वर्तमान में कोई सहयोग नहीं है।
बुद्धिजीवियों का गठबंधन
- मीडिया के लोगो, अमरीका के नागरिको और बुधिजीविओ को लेकर एक संगठन बनाया जा सकता है। जो की अमेरिका की नीतियों के समीक्षा करे, उसके सही फैसलों का समर्थन एवं उसके गलत फैसलों का विरोध कर सके।
अमेरिका और भारत
भारत और सोवियत संघ के बीच में नज़दीकी होने के कारण अमेरिका और भारत के सम्बन्ध शुरू से ही ख़राब रहे है पर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत और अमेरिका के सम्बन्धो के सुधार आया और वर्तमान में भारत और अमेरिका के संबंध काफी अच्छे है।
भारत और अमेरिका के सम्बन्धो की विशेषताएं
भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यात का 65 प्रतिशत अमेरिका को
- भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन का लगभग 65% से ज्यादा हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया जाता है
अमेरिकी कंपनी बोईंग के 35 प्रतिशत कर्मचारी भारतीय
- अमेरिका की विमान कंपनी बोइंग में लगभग 35% से अधिक कर्मचारी भारतीय हैं
3 लाख से ज़्यादा भारतीय सिलिकॉन वाली में कार्यरत
- अमेरिका का IT हब कहे जाने वाले सिलिकॉन वैली में 3 Lakh से भी अधिक भारतीय कर्मचारी कार्यरत हैं
अमरीकी कंपनियों में भारतीयों का अत्याधिक योगदान
- अमेरिका की कई बड़ी-बड़ी कंपनियों में भारतीयों का मुख्य योगदान है
- उदाहरण के लिए :- गूगल में सुंदर पिचाई
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class12history
Nots ke aalva Part ke
persan uttar bhi chaiye
Mujhe notes chahie 12th class political science ke ok ,