भक्ति – सूफी परम्पराएँ (CH-6) Notes in Hindi || CBSE Board Class 12 History Chapter 6 Notes in Hindi ||

पाठ – 6

भक्ति – सूफी परम्पराएँ

This post is about the detailed notes of class 12 History Chapter 7 bhakti – soophee paramparaen (Bhakti- Sufi Traditions) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having History as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.

यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 इतिहास अध्याय 7 भक्ति – सूफी परम्पराएँ के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में इतिहास पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।

BoardCBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHistory
Chapter no.Chapter 6
Chapter Nameभक्ति – सूफी परम्पराएँ (Bhakti- Sufi Traditions)
CategoryClass 12 History Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 History Chapter 6 Bhakti – sufi paramparayein in Hindi
Class 12th (History) Ch 6 (Bhakti- Sufi Traditions) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | भक्ति – सूफी परम्पराएँ | Part – 1 |
Class 12th (History) Ch 6 (Bhakti- Sufi Traditions) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | भक्ति – सूफी परम्पराएँ | Part – 2 |
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2 भक्ति – सूफी परम्पराएँ

भक्ति आंदोलन

  • समय के साथ साथ समाज में कई ऐसे लोगों उभरे जिन्होंने प्रचलित धर्मों की कमियों का विरोध किया एवं एक नए मार्ग की स्थापना की ऐसे ही लोगों के विकास एवं उनके विचारों के प्रसार को भक्ति आंदोलन कहा गया
  • उस समय प्रचलित धर्मो की कमिया
    • जाति व्यवस्था
    • भेदभाव
    • अस्पृश्यता
    • सती प्रथा
    • वर्ण व्यवस्था
  • इन्हीं सब कमियों को देखते हुए कई नए धर्म और विचारधाराओं का उदय हुआ जिन्होंने इन कमियों की आलोचना की एवं नए मार्ग दिखाएं इसे ही भक्ति आंदोलन कहा जाता है

भक्ति के मार्ग

उस दौर में प्रचलित भक्ति के मुख्य दो मार्ग थे

  • निर्गुण

    • निर्गुण वह सभी लोग जो ईश्वर को निराकार मानते है इन के अनुसार ईश्वर का कोई रंग रूप नहीं है इन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया एवं ध्यान लगाने और नाम स्मरण करने पर जोर दिया
    • गुरु नानक एवं कबीर दास इस विचार के समर्थक थे
    • उदाहरण के लिए
      • सिख धर्म में किसी मूर्ति या व्यक्ति की पूजा नहीं की जाती बल्कि निराकार भगवान को माना जाता है
  • सगुण

    • वह सभी लोग जो ईश्वर को साकार मानते हैं वह सगुण कहलाते हैं इन लोगों द्वारा ही मूर्ति पूजा की जाती है
    • मीराबाई एवं कालिदास सगुण विचारधारा के समर्थक थे
    • उदाहरण के लिए
      • हिंदू धर्म जिसमें भगवान की मूर्तियों की पूजा की जाती है

भक्ति की प्रचलित परंपराएं

  • इतिहासकार रॉबर्ट रेडफील्ड के अनुसार उस दौर में भक्ति की मुख्य दो प्रकार की परम्पराये प्रचलित थी
    • महान

      • महान परंपराओं के अंदर वैदिक धर्म को रखा गया यह वह धर्म था जिसका अनुसरण समाज के उच्च वर्ग द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता था
      • इसके अंतर्गत ब्राह्मणों द्वारा कही गई सभी बातों का अनुसरण किया जाता था और देवी देवताओं की पूजा की जाती थी
    • लघु

      • लघु इस परंपरा में उन धर्मो को शामिल किया गया जिनका अनुसरण समाज के निचले वर्ग द्वारा किया जाता था उदाहरण के लिए क्षेत्रीय देवी देवता आदि
  • उनके अनुसार भविष्य में जाकर यह दोनों व्यवस्थाएं आपस में मिल गई और क्षेत्रीय देवी देवताओं को वैदिक धर्म के देवी देवताओं के साथ शामिल कर लिया गया
  • इस प्रकार से हिंदू धर्म में अनेकों देवी-देवताओं की शुरुआत हुई
  • प्रत्येक क्षेत्र के अपने क्षेत्रीय देवी देवता हुआ करते थे जो बाद में मुख्यधारा में शामिल हो गए

भारत और भक्ति आंदोलन

  • भक्ति आंदोलन की शुरुआत छठी शताब्दी में हुई
  • यह वह दौर था जब अनेकों नई विचारधाराओं और परंपराओं का उदय हुआ
  • भारत में हुए भक्ति आंदोलन को दो भागों में विभाजित किया जाता है

दक्षिणी भारत और भक्ति आंदोलन

  • छठी शताब्दी के बाद दक्षिणी भारत में संतों का उदय हुआ
  • इन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता था
    • अलवार

      • अलवार मुख्य रूप से विष्णु की भक्ति किया करते थे
      • इनकी संख्या 12 थी
      • इन के कुछ मुख्य संत
        • नम्मालवार
        • तोंदराडिप्पोडि
        • अंडाल
      • इनके द्वारा रचित ग्रंथ नलयिरादिव्यप्रबंधम कहा जाता है
    • नयनार

      • शिव के भक्त हुआ करते थे
      • इनकी संख्या 63 थी
      • मुख्य संत
        • अप्पार सबंदर
        • सुनंदरार
        • करई काल अम्मईयार
      • इनके द्वारा रचित ग्रंथ को तवरम कहा जाता है

राजा और संत

  • राजा और संतों के बीच में संबंध अच्छे हुआ करते थे इसका एक मुख्य कारण था जनता
  • सामान्य लोगों द्वारा इन संतो को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता था एवं इनके अनेकों अनुयायी थे इसी वजह से राजाओं का भी इन संतों के प्रति खास झुकाव था
  • इन संतों का समर्थन करके वह सामान्य जनता का समर्थन प्राप्त कर सकते थे
  • अपनी यात्राओं के दौरान इन संतों ने कुछ पवित्र स्थानों को ईश्वर का निवास स्थल घोषित किया बाद में राजाओं द्वारा यहां पर विशाल मंदिर बनवा दिए गए और इन जगहों को तीर्थ स्थल माना जाने लगा
  • कई राजाओं द्वारा इन संतों की मूर्तियां भी मंदिरों के अंदर लगवाई गई
  • जैसे कि चिदंबरम, तंजावुर और गंगेकोडाचोलपुरम के मंदिर

वीर शैव परंपरा

  • 12 वीं शताब्दी में कर्नाटक के एक ब्राह्मण बासवन्ना ने एक नए आंदोलन की शुरुआत की
  • यह जैन धर्म को मानने वाले थे परंतु आगे जाकर इन्होंने ब्राह्मणवादी व्यवस्था का विरोध करना शुरू किया और एक नई व्यवस्था बनाई
  • इन्होंने समाज सुधार का कार्य किया और ब्राह्मण व्यवस्था में उपस्थित सभी कुरीतियों की आलोचना की
  • इनके अनुयायियों को वीरशैव(शिव के वीर) या लिंगायत(लिंग धारण करने वाले) कहा जाने लगा
  • इन सभी के द्वारा शिव की आराधना उनके लिंग रूप में की जाती है
  • इस समुदाय में पुरुष एक छोटे से चांदी के डिब्बे में लिंग रखकर उसे अपने बाएं कंधे पर धारण करते हैं

लिंगायत की विचारधारा

  • अस्पृश्यता का विरोध किया
  • पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते
  • जाति प्रथा का विरोध
  • मूर्ति पूजा की मनाही
  • शिव की भक्ति
  • समाज में स्थान योग्यता के आधार पर
  • विधवा स्त्री के पुनर्विवाह की व्यवस्था
  • अंतिम संस्कार में दफनाया जाता है

उत्तर भारत और भक्ति आंदोलन

  • छठी शताब्दी के दौर में उत्तरी भारत का क्षेत्र छोटे छोटे राज्यों में बटा हुआ था
  • इन क्षेत्रों में राजपूतों का शासन था
  • इन सभी शासकों में एकता का अभाव था
  • जिस कारणवश भविष्य में उत्तर भारत में मुस्लिम शासकों का शासन स्थापित हुआ
  • एक तरफ जहां दक्षिण भारत में वैदिक धर्म अलवार और नयनार फल फूल रहे थे वहीं दूसरी तरफ उत्तर भारत में मुस्लिम शासन का उदय हुआ

उत्तर भारत और मुस्लिम शासन

  • पहला आक्रमण

    • भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमण 711 में अरब के मोहम्मद कासिम ने किया
    • इस आक्रमण के बाद मोहम्मद कासिम ने भारत का सिंध वाला हिस्सा जीत लिया और उस पर
    • अपना शासन स्थापित किया
    • भारत पर मुस्लिम शासकों द्वारा किया गया यह पहला हमला था
  • दूसरा आक्रमण

    • इसके बाद मोहम्मद गजनवी (अफगानिस्तान का शासक) ने 1001 में भारत पर हमला किया उसके हमले का मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र को लूटना था
    • मोहम्मद गजनवी ने कुल 17 बार भारत पर आक्रमण किया और भारत को लूटा
    • 16वीं बार वह जब भारत को लूट कर वापस जा रहा था तो वर्तमान के हरियाणा और उत्तर प्रदेश में स्थित जाटों ने मिलकर मोहम्मद गजनवी को लूट लिया
    • इसी घटना का बदला लेने के लिए मोहम्मद गजनवी ने 17वीं बार भारत पर आक्रमण किया
  • तीसरा आक्रमण

    • 1191 में मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किया
    • पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच तराइन क्षेत्र में युद्ध हुआ
    • इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की जीत हुई और मोहम्मद गौरी को हार कर वापस जाना पड़ा
  • दिल्ली सल्तनत की शुरुआत

    • इस युद्ध के ठीक 1 साल बाद यानी 1992 में मोहम्मद गौरी वापस आया और पृथ्वीराज चौहान को हराकर अपना शासन स्थापित किया
    • मोहम्मद गौरी का कोई पुत्र नहीं था, इसी वजह उसकी मृत्यु के बाद उसका गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक शासक बना
    • और इस तरह से 1206 में यहीं से दिल्ली सल्तनत और गुलाम वंश की शुरुआत हुई

दिल्ली सल्तनत

  • गुलाम वंश

    • कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार का निर्माण करवाया था
    • कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद उनका गुलाम इल्तुतमिश अगला शासक बना क्योंकि कुतुबुद्दीन ऐबक की भी कोई संतान नहीं थी
    • इल्तुतमिश के बाद उनकी बेटी रजिया सुल्तान ने दिल्ली सल्तनत पर शासन किया
    • इसके बाद गुलाम वंश का पतन हुआ और दिल्ली सल्तनत पर खिलजी वंश के शासन की शुरुआत हुई
  • खिलजी वंश

    • खिलजी वंश के मुख्य शासकों में से एक थे अलाउद्दीन खिलजी
    • खिलजी वंश के पतन के बाद तुगलक वंश की शुरुआत हुई
  • तुगलक वंश

    • इसके मुख्य शासक थे मोहम्मद बिन तुगलक
    • इस वंश के आखिरी शासक नसीरुद्दीन नुसरत शाह तुगलक थे
    • तुगलक वंश के बाद दिल्ली सल्तनत पर सय्यद वंश का शासन स्थापित हुआ
  • सय्यद वंश

    • इसके प्रथम शासक खिजर खान एवं अंतिम शासक आलम शाह थे
    • सय्यद वंश के पतन के बाद दिल्ली सल्तनत पर लोदी वंश की स्थापना हुई
  • लोदी वंश

    • इसकी शुरुआत बहलुल लोदी द्वारा कि गई एवं इसके अंतिम शासक इब्राहिम लोदी थे

मुग़ल शासन

  • 1526 में बाबर द्वारा इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की गई और दिल्ली सल्तनत की समाप्ति हुई
  • बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की
  • मुख्य शासक
    • बाबर
    • हुमायूं
    • अकबर
    • जहांगीर
    • शाहजहां
    • औरंगजेब
    • बहादुर शाह जफर
  • बहादुर शाह जफर की मृत्यु के साथ ही मुगल साम्राज्य का अंत हुआ

दिल्ली सल्तनत

  • गुलाम वंश

    • मोहम्मद गौरी
    • क़ुतुब्दीन ऐबक
    • इल्तुतमिश
    • रजिया सुल्तान
  • खिलजी वंश

    • अलाउद्दीन खिलजी
  • तुगलक वंश

    • मोहम्मद बिन तुगलक
    • नसीरुद्दीन नुसरत शाह तुगलक
  • सय्यद वंश

    • खिजर खान
    • आलम शाह
  • लोदी वंश

    • बहलूल लोदी
    • इब्राहिम लोदी
  • मुग़ल शासन

    • बाबर
    • हुमायूं
    • अकबर
    • जहांगीर
    • शाहजहां
    • औरंगजेब
    • बहादुर शाह जफर
  • अंग्रेज़ो का शासन
  • आज़ाद भारत

मुस्लिम धर्म और सूफियों का उदय हुआ

  • समय के साथ-साथ इस्लाम धर्म में सूफियों का उदय हुआ
  • सूफी वह लोग होते थे जो शरिया के अनुसार अपना जीवन जीते थे
    • शरिया एक मुस्लिम ग्रंथ है जिसमें मुस्लिम धर्म के नियमों का वर्णन किया गया है
  • यह सभी सूफी लोग ख़ानक़ाह (आश्रम) में रहा करते थे

ख़ानक़ाह

  • ख़ानक़ाह एक आश्रम जैसा क्षेत्र होता था यहां पर शेख (शिक्षक) और उसके मुरीद (अनुयायी) रहा करते थे
  • यहां पर लोग अपनी आस्था प्रकट करने और इच्छाओं की पूर्ति के लिए आया करते थे
  • ख़ानक़ाह में पूरे दिन लंगर की व्यवस्था हुआ करती थी जिससे कोई भी आने जाने वाला व्यक्ति खाना खा सकता था
  • ख़ानक़ाहों में लोग ताबीज इत्यादि बनवाने भी आते थे
  • इन ख़ानक़ाहों में सिलसिला व्यवस्था का पालन किया जाता था

सिलसिला व्यवस्था

  • यह व्यवस्था ज्ञान के विस्तार की पीढ़ी नुमा व्यवस्था थी
  • इसके अंतर्गत पैगंबर मोहम्मद को मुख्य शिक्षक माना जाता था
  • उनके पश्चात उनका एक शिष्य, शिक्षक बना और इसी तरीके से शिक्षक की मृत्यु के पश्चात उनका शिष्य शिक्षक बन जाता था
    • ख़ानक़ाहों में स्थित शिक्षक को शेख, मुर्शीद या पीर भी कहा जाता था
    • उनके शिष्यों को मुरीद कहा जाता था
    • शेखों द्वारा मुरीदों को दीक्षा दी जाती थी
      • जो भी व्यक्ति मुस्लिम धर्म कबूल करता था यानि दीक्षा लेता था उसे मुख्य पांच बातें माननी होती थी
        1. अल्लाह ही भगवान है, पैगंबर मोहम्मद अल्लाह के दूत हैं,
        2. दिन में 5 बार नमाज पढ़ना आवश्यक है,
        3. जमात (खैरात/दान दक्षिणा) करना आवश्यक है
        4. सभी मुस्लिमों द्वारा रमजान में रोजे रखे जाने चाहिए
        5. मक्का की यात्रा की जानी चाहिए
      • पीर की मृत्यु के बाद उनकी दरगाह बना दी जाती थी इस दरगाह पर पीर के मुरीद उनकी पूजा किया करते थे

सूफियों के प्रकार

  • मुस्लिम धर्म में सूफी भी मुख्य रूप से दो प्रकार के हुआ करते थे
    • बाशरिया :-

      • वह सूफी जो शरिया के अनुसार जीवन जीते थे एवं ख़ानक़ाहों में रहते थे बाशरिया कहलाते थे
    • बेशरिया :-

      • वह सूफी जो एक जगह नहीं रहते थे एवं घूम घूम कर संगीत द्वारा धर्म प्रचार एवं भक्ति किया करते थे एवं शरिया के कानूनों को पूर्ण रूप से नहीं मानते थे बेशरिया कहलाते थे इन्हे कलंदर, मदारी या हैदरी कहा जाता था

अन्य धर्मों के अनुयायी

  • मुस्लिम शासकों द्वारा उनकी सल्तनत में रह रहे अन्य धर्मों के लोगों से जजिया नामक कर वसूला जाता था यह कर इसीलिए था क्योंकि वह मुस्लिम धर्म की बजाय किसी अन्य धर्म का पालन किया करते थे
  • ऐसे लोग जो कि राजा के धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म का पालन किया करते थे जिम्मी कहलाते थे

राजा और सूफी

  • राजाओं और सूफियों का संबंध अच्छा होता था
  • सभी राजाओं द्वारा सूफियों का समर्थन किया जाता था
  • राजा द्वारा अनुदान एवं सहायता भी प्रदान की जाती थी
  • यह सब सूफियों की सामान्य जनता में लोकप्रियता के कारण होता था
  • राजाओं द्वारा सूफियों को दान भी दिया जाता था जिसे सूफियों द्वारा बाद में गरीबों में बांट दिया जाता था
  • उदाहरण के लिए
    • अजमेर की दरगाह
      • यह शेख मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है
      • शेख मोइनुद्दीन एक बहुत प्रसिद्ध सूफी थे
      • अजमेर में उनकी ख़ानक़ाह पर ही उनकी दरगाह बनाई गई
      • यही से चिश्ती सिलसिले की शुरुआत हुई
      • इस दरगाह को गरीब नवाज़ भी कहा जाता है
      • इसकी पहली इमारत गयासुद्दीन खिलजी द्वारा बनवाई गई थी
      • मोहम्मद बिन तुगलक पहला सुल्तान था जो इस दरगाह पर आया था और अकबर लगभग 14 बार इस दरगाह पर गया था

मीराबाई

  • मीराबाई का जन्म राजस्थान में हुआ
  • इनका जन्म काल 15वी से 16वी शताब्दी के मध्य था
  • इनके पिता का नाम रतन सिंह था
  • मीराबाई बचपन से ही श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो गई थी और उन्होंने उन्हें अपना एकमात्र पति स्वीकार कर लिया था
  • इनकी मर्जी के खिलाफ मीराबाई का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया कुल में कर दिया गया परंतु उन्होंने अपने सभी दायित्व को निभाने से मना कर दिया
  • एक बार उनके ससुराल वालों द्वारा उन्हें जहर देने का प्रयत्न किया गया पर उन पर उस जहर का कोई असर नहीं हुआ
  • सांसारिक बंधनों से छुटकारा पाने और खुलकर कृष्ण भक्ति करने के लिए मीराबाई राजभवन से भाग गई और एक घुमक्कड़ गायिका बन गई
  • इन्होंने राज महल के सभी सुखों का त्याग किया और और सफेद साड़ी पहनकर एक सन्यासी की तरह जीवन व्यतीत किया
  • अपनी भावना को व्यक्त करने के लिए मीराबाई ने अनेकों गीत लिखे
  • मीराबाई ने जातिवादी व्यवस्था का विरोध किया इनके गुरु भी रैदास जी थे जो कि एक चर्मकार थे अर्थात निम्न जाति से संबंधित थे

गुरु नानक

  • गुरु नानक का जन्म पंजाब के ननकाना गांव में हुआ
  • यह हिंदू परिवार में पैदा हुए थे और छोटी आयु में ही इनका विवाह कर दिया गया
  • इन्होंने जीवन का अधिकांश समय सूफी और भक्त संतों के बीच गुजारा और देश भर की यात्रा की
  • इन्होंने भगवान को रब कहा और निर्गुण भक्ति का प्रचार किया
  • हिंदू मुस्लिम धर्म और उनके रीति-रिवाजों को पूर्ण रूप से नकारा और भक्ति करने का तरीका स्मरण और नाम का जप बताया
  • नानक जी अपने विचार पंजाबी भाषा में शबद के माध्यम से व्यक्त करते थे वह इस शबद को अलग अलग राग में गाते थे और उनके सेवक मर्दाना रबाब बजाकर उनका साथ दिया करते थे
  • गुरु नानक जी के बाद उनके अनुयाई अंगद ने गुरु पद प्राप्त किया

सिख धर्म

  • मुख्य गुरु
    • गुरु नानक
    • गुरु अंगद
    • गुरु अमर दास
    • गुरु रामदास
    • गुरु अर्जुन देव
    • गुरु हरगोबिंद
    • गुरु हरराय
    • गुरु हरकिशन
    • गुरु तेग बहादुर
    • गुरु गोविंद सिंह

गुरु ग्रंथ साहिब

  • सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव द्वारा गुरु नानक एवं उनके चार उत्ताधिकारियो, बाबा फरीद, रविदास और कबीर जी की बातों को इकट्ठा करके एक ग्रंथ का निर्माण किया गया इसे आदि ग्रंथ साहिब कहा गया
  • 17 वीं शताब्दी में गुरु गोविंद सिंह द्वारा आदि ग्रंथ साहिब में गुरु तेग बहादुर की रचनाओं को भी शामिल किया गया और इसे गुरु ग्रंथ साहिब कहा जाने लगा

खालसा पंथ की स्थापना

  • खालसा पंथ का अर्थ होता है पवित्रो की सेना
  • इस सेना की स्थापना औरंगजेब की क्रूर नीतियों के कारण की गई
  • गुरु तेग बहादुर द्वारा इस्लाम ना कबूल किये ने की वजह से औरंगजेब द्वारा उनका शीश कलम करवा दिया गया था
  • इसी वजह से औरंगजेब की क्रूर नीतियों से बचने और सिख धर्म को बनाए रखने के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की
  • मुख्य पांच प्रतीक होते हैं
    1. बिना कटे केश
    2. कृपाण
    3. कच्छा
    4. कंघा
    5. लोहे का कड़ा

कबीर

  • ऐसा माना जाता है कि कबीर को एक विधवा महिला द्वारा वाराणसी में जन्म दिया गया
  • परंतु विधवा होने के कारण कबीर की माताजी ने इन्हीं लहरतारा नदी के पास छोड़ दिया
  • उसके बाद इनका पालन-पोषण एक जुलाहा दंपति नीरू और नीमा के द्वारा किया गया
  • कबीर ने अपनी रचनाओं द्वारा परम सत्य का वर्णन किया उन्होंने भगवान को निराकार बताया और एकेश्वरवाद का समर्थन किया
  • कबीर का गुरु रामानंद को माना जाता है
  • कबीर की वाणी को बीजक नामक ग्रंथ में रखा गया है इनके कई पद गुरु ग्रंथ साहिब में भी सम्मिलित है
  • बीजक को कबीरपंथीयो (कबीर को मानने वाले) द्वारा वाराणसी और उत्तर प्रदेश में संरक्षित करके रखा गया है

 

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