पाठ – 1
This post is about the detailed notes of class 12 Geography Chapter 1 maanav bhoogol prakrti evan vishay kshetr (Human Geography (Nature and Scope)in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Geography as a subject and studying in class 12thfrom CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 भूगोल अध्याय 1 मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्रके विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में भूगोल पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र (Human Geography (Nature and Scope)) |
Category | Class 12 Geography Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
भूगोल
- GEOGRAPHYदो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है जिन का अर्थ होता हैपृथ्वी का वर्णन
- इरेटोस्थनीजको भूगोल का जनक माना जाता है
- भूगोल को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है
- भौतिक भूगोल
- मानव भूगोल
- आधुनिक मानव भूगोल का जनक फ्रेडरिक रेटजेलको माना जाता है
- इन्होंने अपनी किताब एंथ्रोपॉजियोग्राफीके अंदर मानव भूगोल का वर्णन किया है
- मानव भूगोल की परिभाषा
- रेट जेल
- मानव भूगोल मानव समाज और पृथ्वी के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है
- एलेन सी सैंपल
- मानव भूगोल स्थित पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययनहै
- रेट जेल
- मानव भूगोल की विचारधाराओं से हमारा अभिप्राय अलग-अलग वैज्ञानिकों के मानव भूगोल को देखने के नजरिए से है साधारण शब्दों में कहें तो आज तक मानव भूगोल के अनेकों वैज्ञानिक हुए उन सब वैज्ञानिकों ने जिस प्रकार मानव और पृथ्वी के संबंध को देखा उन्ही से ही भौगोलिक विचारधाराएं बनी है
- मानव भूगोल की मुख्य 3 विचारधाराएं है
- नियतिवाद
- संभववाद
- नव निश्चयवाद
निश्चयवाद/नियतिवाद
- यह विचारधारा मानव भूगोल की प्रारंभिक विचारधाराओं में से एक है
- इसके अंतर्गत उस मानव का जिक्र किया गया है जो आदिम था और पृथ्वी से डर कर रहता था
- उसने खुद को पृथ्वी के अनुसार ढाल लिया था क्योंकि वह पृथ्वी को प्रभावित नहीं कर सकता था
विशेषताएं
- प्रौद्योगिकी का स्तर निम्न था
- मानव विकास ना के बराबर था
- मानव प्रकृति की सुनता था उसकी पूजा करता था और उससे डरता था
- मानव सीधे तौर पर प्रकृति पर निर्भर था और वह किसी भी रुप में पृथ्वी को प्रभावित नहीं करता था
- इस विचारधारा के अनुसार पृथ्वी ज्यादा शक्तिशाली थी और वह मानव को अपने अनुसार चलाती थी
उदाहरण के लिए
- पुराने समय में जब मानव आदिवासी था तो बारिश ना होने पर वह सिंचाई के अन्य साधन ना ढूंढ कर पृथ्वी की पूजा करने और उसे खुश करने में लग जाता था ताकि बारिश हो सके और वह अच्छे से खेती कर सके
- निश्चयवाद की स्थिति को ही मानव का प्रकृति कारण कहा जाता है
- इस स्थिति के अंदर मानव ने पृथ्वी के अनुसार जीना सीखा और
- मानव के ऊपर पृथ्वी का प्रभाव ज्यादा था
- इसके समर्थक रेट जेल और हमबोल्ट थे
संभववाद
- इस विचारधारा के समर्थक विडाल डी. ला. ब्लाश थे
- यह विचारधारा निश्चयवाद के आगे की स्थिति का वर्णन करती है जब मनुष्य का विकास हुआ और वह प्रकृति के नियमों को समझने लगा
- प्रकृति के नियमों को समझने के बाद मनुष्य ने प्रकृति को प्रभावित करना शुरू किया और अपने अनुसार प्रकृति को ढालना शुरू किया
- मनुष्य पृथ्वी से स्वतंत्र होकर रहने लगा
- अपने अनुसार पृथ्वी को बदलने लगा
- पृथ्वी पर उपस्थित संसाधनों का प्रयोग करना सीख गया
उदाहरण के लिए
- मानव ने गर्मी से बचने के लिए कूलर और सर्दी से बचने के लिए स्वेटर बनाना सीख लिया
- प्रकृति का मानवीकरण उसी स्थिति को कहा गया है जब मनुष्य प्रकृति के नियमों को समझकर प्रकृति को प्रभावित करने लगा
- नियतिवादी विचारधारा में जहां मनुष्य पृथ्वी के अनुसार रहताथा अब उसने पृथ्वी को अपने अनुसार परिवर्तित करना सीख लिया इसे ही प्रकृति का मानवीकरण कहा गया
- यह निश्चयवाद और संभववाद के बीच का रास्ता है
- इसे रुको और जाओ निश्चयवाद भी कहा जाता है
- इसके अनुसार मनुष्य ना तो पूरी तरह से प्रकृति को बदल सकता है और ना ही प्रकृति पूरी तरह से मनुष्य को प्रभावित कर सकती
- मानव केवल प्रकृति के नियमों को समझ कर पृथ्वी को अपने रहने अनुसार बना सकता है
- यह विचारधारा ना तो निश्चयवाद की तरह पूर्ण रूप से प्रकृति को मनुष्य से ऊपर दिखाती है और ना ही संभववाद की तरह मानव को प्रकृति से ऊपर दिखाती है यह इन दोनों के बीच का रास्ता दर्शाती है
- नगरीय भूगोल
- जनसंख्या भूगोल
- आर्थिक भूगोल
- आवास भूगोल
- सामाजिक भूगोल
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Nice notes