पाठ – 2
भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना
This post is about the detailed notes of class 12 Sociology Chapter 2 Bhaarateey samaaj kee janasaankhyikeey sanrachana (The Demographic Structure of the Indian Society) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Sociology as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 समाजशास्त्र अध्याय 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में समाजशास्त्र पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Sociology |
Chapter no. | Chapter 2 |
Chapter Name | भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना (The Demographic Structure of the Indian Society) |
Category | Class 12 Sociology Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
जनसांख्यिकी
- जनसंख्या के सुव्यवस्थित अध्ययन को जनसंख्या की कहा जाता है
- अंग्रेजी में इसे Demography कहा जाता है यह दो शब्दों Demos यानी लोग एवं Graphien यानी वर्णन से मिलकर बना है
- इस तरह से जनसांख्यिकी का अर्थ होता है लोगों का वर्णन
- दूसरे शब्दों में एक देश की जनसंख्या का उसकी विशेषताओं जैसे कि आयु, लिंग, व्यवसाय आदि के आधार पर वर्णन करना जनसांख्यिकी कहलाता है
जनसांख्यिकी के प्रकार
जनसांख्यिकी के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं
आकारिक जनसांख्यिकी
- आकारिक जनसांख्यिकी के अंतर्गत संख्या के आधार पर जनसंख्या की विशेषताओं को मापा जाता है
- उदाहरण के लिए
- महिलाओं की संख्या
- पुरुषों की संख्या
- किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या
- देश में गरीबों की संख्या आदि
सामाजिक जनसांख्यिकी
- सामाजिक जनसांख्यिकी के अंतर्गत अन्य विशेषताओं के आधार पर जनसंख्या को मापा जाता है
- उदाहरण के लिए
- सामाजिक विशेषताएं
- आर्थिक विशेषताएं
- राजनीतिक विशेषताएं आदि
अशोधित जन्म दर
- अशोधित जन्म दर का संबंध हजार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए गए जीवित बच्चों से है
- मान लीजिए अगर एक समय अंतराल के दौरान क्षेत्र में हजारे स्त्रियों द्वारा 20 बच्चों को जन्म दिया जाता है तो उस क्षेत्र की अशोधित जन्म दर 20 होगी
अशोधित मृत्यु दर
- 1 वर्ष के दौरान किसी क्षेत्र में हजार लोगों पर मरने वालों की संख्या को अशोधित मृत्यु दर कहा जाता है
प्रवास
व्यक्तियों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की घटना को प्रवास कहते हैं
प्रवास के प्रकार
- स्थाई
- अस्थाई
- मौसम
लिंग अनुपात
- जनसंख्या में स्त्री और पुरुषों की संख्या के बीच के अनुपात को लिंग अनुपात कहा जाता है
- विश्व में लिंग अनुपात नापने के लिए सूत्र
भारत में लिंग अनुपात मापने का सूत्र
आयु संरचना
- आयु संरचना विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या दर्शाती है
- यह हमें विभिन्न आयु वर्गों के अंदर देश में मौजूद लोगों की संख्या जानने में मदद करती है
- इसमें मुख्य रूप से तीन वर्गों में बांटा जाता है
0 से 15
- यह आश्रित जनसंख्या है इसमें बच्चे शामिल होते हैं
- क्योंकि इस उम्र के अंदर बच्चे विकास के दौर में होते हैं एवं शिक्षा प्राप्त करने में व्यस्त होते हैं इसीलिए इन्हें आश्रित कहा जाता है क्योंकि यह कार्यरत नहीं होते
- इस वर्ग में जनसंख्या ज्यादा होने पर देश में शिक्षा सुविधाओं के खर्चे में वृद्धि होती है
15 से 59
- यह वर्ग कार्यरत जनसंख्या को दर्शाता है
- इस वर्ग के अंदर मौजूद लगभग सभी व्यक्ति कार्यरत होते हैं एवं देश के विकास में सहयोग करते
60 वर्ष से अधिक
- इस वर्ग में जनसंख्या ज्यादा होने पर देश में विकास की गति में वृद्धि होती है
- इसमें मुख्य रूप से वृद्ध जन संख्या होती है
- ऐसी जनसंख्या अधिक होने की स्थिति में देश में स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं पेंशन आदि का खर्चा बढ़ता है
- इसे भी आश्रित जनसंख्या कहा जाता है
साक्षरता
- साक्षर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो अपने रोजमर्रा के जीवन में एक सामान्य सरल वाक्य को समझ, पढ़ एवं लिख सके
- साक्षरता दर के आधार पर देश की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का पता चलता है
- अधिक साक्षरता दर का अभिप्राय उच्च सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति है जबकि इसका विपरीत निम्न साक्षरता दर निम्न सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दिखाता है
- इससे ही सरकार की नीतियों एवं सुविधाओं का ज्ञान भी होता है
- भारत के अंदर 7 वर्ष से अधिक आयु वाले ऐसे व्यक्ति को साक्षर माना जाता है जो पढ़ लिख सके एवं अंकगणितीय परिकलन कर सके
शिशु मृत्यु दर
- जीवित पैदा हुए प्रति 1000 बच्चों में से 1 साल के भीतर मौत को प्राप्त होने वाले बच्चों की संख्या शिशु मृत्यु दर कहलाती है हैं
मातृ मृत्यु दर
- यह उन स्त्रियों की संख्या है जो जीवित प्रसूति के 1000 मामलों में अपने बच्चों को जन्म देते समय मृत्यु को प्राप्त हो जाती है
प्रजनन दर
- बच्चा पैदा कर सकने की आयु (15 से 49 वर्ष) वाली प्रति हजार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए गए जीवित बच्चों की संख्या प्रजनन दर कहलाती है
जनसंख्या वृद्धि
- किसी क्षेत्र में एक विशेष समय के दौरान हुए जनसंख्या परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
- अगर उस क्षेत्र की जनसंख्या उस समय के दौरान बढ़ती है तो उसे धनात्मक जनसंख्या वृद्धि कहते हैं अगर क्षेत्र की जनसंख्या उस समय के दौरान घटती है तो उसे ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
धनात्मक जनसंख्या वृद्धि
- अगर एक समय के दौरान किसी क्षेत्र में जनसंख्या बढ़ती है तो उसे धनात्मक जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि
- अगर एक समय के दौरान किसी क्षेत्र में जनसंख्या घटती है तो उसे ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है
जनसंख्या वृद्धि दर
- जब जनसंख्या के परिवर्तन को प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है तो उसे जनसंख्या वृद्धि दर कहते हैं
जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि
- एक क्षेत्र के अंदर एक समय के दौरान मृत्यु और जन्म के बीच के अंतर के कारण बढ़ने वाली जनसंख्या को क्षेत्र की जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि कहा जाता है
जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि
- इसके अंदर प्राकृतिक जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ प्रवास को भी शामिल किया जाता है
ग्रामीण एवं नगरीय संरचना
- ग्रामीण नगरीय संगठन एक देश के अंदर गांव एवं शहरों में रहने वाली जनसंख्या को प्रदर्शित करता है
- इसका मूल्यांकन रहने के स्थान के आधार पर किया जाता है
- गांव में मुख्य रूप से जनसंख्या घनत्व कम होता है एवं लोग कृषि कार्यों में लगे होते हैं
- इसी के विपरीत शहरों के अंदर जनसंख्या घनत्व ज्यादा होता है
- एवं लोग मुख्य रूप से उत्पादन एवं सेवाओं में कार्यरत होते हैं
- ग्रामीण एवं नगरीय संरचना के आधार पर हम एक देश के विकास के स्तर एवं वहां पर उपलब्ध सुविधाओं का मूल्यांकन कर सकते हैं
पराश्रितता अनुपात
- यह जनसंख्या के आश्रित और कार्यशील हिस्से का अनुपात है
- आश्रित जनसंख्या, जनसंख्या का वह हिस्सा होता है जो या तो वृद्ध या फिर आयु में कम होता है
- वृद्ध जनसंख्या बुढ़ापे के कारण कार्य करने में सक्षम नहीं होती और दूसरी तरफ छोटी आयु की जनसंख्या आयु कम होने के कारण काम नहीं कर सकती इसीलिए इन्हें आश्रित जनसंख्या माना जाता है
- 0 से 15 छोटे बच्चे (आश्रित)
- 15 से 64 कार्यशील जनसंख्या
- 64 से ज्यादा वृद्ध जनसंख्या (आश्रित)
व्यावसायिक संरचना
एक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से 4 क्षेत्र होते है
प्राथमिक क्षेत्र
- कृषि
- मत्स्य पालन
- पशु पालन आदि
द्वितीय क्षेत्र
- उत्पादन
- खनन आदि
तृतीय क्षेत्र
- सेवाएं
चतुर्थ क्षेत्र
- अनुसंधान
- वैचारिक विकास
- सूचना प्रौद्योगिकी आदि
- देश में कार्यरत जनसंख्या का अधिकांश भाग जिस क्षेत्र में कार्यरत होता है उसके अनुसार हम क्षेत्र की आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगा सकते
- प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत जनसंख्या देश में विकास के निचले स्तर को दर्शाती है
- द्वितीय क्षेत्र में कार्यरत जनसंख्या बढ़ती हुई उत्पादन क्षमता को दर्शाती है
- तृतीय क्षेत्र में कार्यरत जनसंख्या देश में सेवाओं के स्तर को दर्शाती है
- चतुर्थ क्षेत्र के अंदर कार्यरत जनसंख्या देश में विकास और विचारों की वृद्धि को दर्शाती है
जनगणना
- एक देश में जनसंख्या और उसकी विशेषताओं से संबंधित आंकड़ों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया को जनगणना कहा जाता है
- पुराने समय में जनसंख्या संबंधी आंकड़ों को इकट्ठा करने की विधि को जनगणना की पुरानी या प्राचीन विधि कहा जाता है
- आधुनिक समय में जनगणना की विधि में परिवर्तन आया है इसे अमेरिका द्वारा 1790 से शुरू किया गया
भारत में जनगणना
- भारत में सर्वप्रथम जनगणना अंग्रेजी सरकार द्वारा 1867-1872 के बीच करवाई गई
- इसके बाद हर 10 साल बाद भारत में जनगणना की जाने लगी
- आजाद भारत में सबसे पहली जनगणना 1951 में हुई और उसके बाद से प्रत्येक 10 साल में जनगणना करवाई जाती है
जनसँख्या वृद्धि सिद्धांत
- यह सिद्धांत थॉमस रॉबर्ट मॉल्स द्वारा पेश किया गया था
- इसका वर्णन उन्होंने अपने निबंध ‘एस्से ऑन पापुलेशन’ (1788) में किया था
- यह एक निराशावादी सिद्धांत है
- इसके अनुसार मनुष्य की जनसंख्या हमेशा उसके भरण पोषण के साधनों की तुलना में तेज गति से बढ़ती है जिस वजह से मनुष्य हमेशा गरीबी की स्थिति में रहता है
- दूसरे शब्दों में कहें तो मनुष्य की जनसंख्या हमेशा तेजी से बढ़ती है जबकि उसके भरण पोषण के लिए जरूरी संसाधन जैसे कि भोजन, कपड़ा और अन्य उत्पाद उस तेजी से नहीं बढ़ते जिस वजह से मनुष्य को हमेशा संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है
समाधान
उनके अनुसार इस स्थिति से बचने के लिए मनुष्य को जनसंख्या को नियंत्रित करना जरूरी है
- ऐसा वह
- बड़ी उम्र में विवाह करके
- यौन संयम रखकर
- ब्रह्मचर्य का पालन करके
- सीमित बच्चे पैदा करके कर सकता है
- साथ ही साथ उन्होंने कहा कि प्रकृति भी अपने स्तर पर जनसंख्या नियंत्रित करने के प्रयास करती रहती है
- प्रकृति के द्वारा ऐसा प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़ भूकंप महामारियो आदि से किया जाता है
मॉल्स के सिद्धांत की आलोचना
- कुछ विचारों को ने इनका विरोध किया जिनका मानना यह था कि संसाधनों की उपलब्धता को जनसंख्या से अधिक किया जा सकता है
- भविष्य में मॉल्स का सिद्धांत गलत साबित हुआ जब संसाधनों की उपलब्धता जनसंख्या से अधिक होने लगी
- उदारवादी और मार्क्सवादी विचारकों ने भी मॉल्स के सिद्धांत की आलोचना की[19:01, 24/07/2020] My Jio:
- उन्होंने कहा कि गरीबी का कारण बढ़ती हुई जनसंख्या नहीं बल्कि संसाधनों का असमान वितरण है
- एक तरफ जहां कुछ लोग अत्याधिक संसाधनों का प्रयोग कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ एक बड़ी जनसंख्या को गरीबी में रहना पड़ता है यही गरीबी का मुख्य कारण है
जनांकिकीय संक्रमण
- जनांकिकीय संक्रमण का सिद्धांत वर्तमान समय में किसी क्षेत्र की जनसंख्या का वर्णन करने और भविष्य में उसकी स्थिति का अनुमान लगाने में मदद करता है
- इसकी तीन अवस्थाएं होती हैं
प्रथम अवस्था
- इस अवस्था में किसी क्षेत्र की जन्म दर और मृत्यु दर दोनों उस होते हैं
- जिस वजह से जनसंख्या वृद्धि दर धीमी होती है
- ज्यादातर लोग खेती का काम करते हैं
- जीवन प्रत्याशा कम होती है
- अधिकतर लोग अशिक्षित होते हैं और विकास की दर निम्न होती है
द्वितीय अवस्था
- इस अवस्था के प्रारंभ में उच्च प्रजनन दर होती है
- समय के साथ – साथ प्रजनन दर घटती रहती है
- स्वास्थ्य संबंधी दशाओं में सुधार के कारण मृत्यु दर कम होती है
- जनसंख्या वृद्धि दर धनात्मक रहती है
तृतीय अवस्था
- इस अवस्था में जन्म दर और मृत्यु दर दोनों कम होती है
- जनसंख्या की वृद्धि दर या तो स्थिर हो जाती है या धीमी रहती है
- जनसंख्या शिक्षित होती और नगरों का विकास हो चुका होता है
- शिक्षा एवं तकनीकी ज्ञान ज्यादा होने की वजह से व्यक्ति सोच समझ कर परिवार का विकास करता है
- जनसंख्या नियंत्रित रहती है
भारत की जनसँख्या नीति
- भारत ने अपनी पहली जनसंख्या नीति की घोषणा 1952 में की
- उस समय इसे राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम कहा गया
- शुरुआती दौर में इसका मुख्य लक्ष्य लोगों को जागरूक करके जन्म दर को नियंत्रण में लाना था
- राष्ट्रीय आपातकाल की अवधि ने राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम को पूरी तरह से बदल दिया
- इस दौर में जबरदस्ती लोगों की नसबंदी कराई गई साथ ही साथ जनसंख्या नियंत्रण के अन्य कठोर तरीके अपनाए गए
- सभी लोगों ने इसका विरोध किया और आपातकाल के बाद आई सरकार ने इस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म कर दिया
- आपातकाल के बाद इसे बदलकर राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम कहा जाने लगा
- दवाबकारी तरीकों को छोड़ दिया गया और सामाजिक जागरूकता एवं प्राकृतिक तरीकों को अपनाया जाने लगा
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