पाठ – 1
संविधान : क्यों और कैसे
This post is about the detailed notes of class 11 Political Science Chapter 1 sanvidhaan: kyon aur kaise (Constitution: Why and How)in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Political Science as a subject and studying in class 11th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 11 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 11 राजनीतिक विज्ञान अध्याय 1 संविधान: क्यों और कैसेके विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 11वीं कक्षा में एक विषय के रूप में राजनीतिक विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 11 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Political Science |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | संविधान: क्यों और कैसे (Constitution: Why and How?) |
Category | Class 11 Political Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
संविधान : क्यों और कैसे
- संविधान: संविधान ऐसे सिद्धांतों का समूह जिसके अनुसार एक देश की शासन की व्यवस्था को चलाया जाता है तथा राज्य और नागरिकों के बीच संबंध स्थापित किया जाता हैं।
संविधान की आवश्यकता/ विशेषताएं/ जरूरत
- संविधान एक देश का सर्वोच्च कानून होता है।
- संविधान द्वारा एक देश में उपस्थित सरकार की रचना की जानकारी मिलती है।
- संविधान देश में कानून के शासन की स्थापना करता है।
- संविधान द्वारा सरकार के अंगों में शक्तियों का बंटवारा किया जाता है।
- एक देश का संविधान देश के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है तथा उनकी रक्षा करता है।
- संविधान सरकार के लिए दिशा निर्देश प्रस्तुत करता है और निरंकुश शासन पर प्रतिबंध लगाता है।
भारतीय संविधान सभा
- संविधान सभा चुने गए प्रतिनिधियों की वह सभा थी जिसने भारत के संविधान का निर्माण किया।
- भारत में संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन द्वारा प्रस्तावित योजना के अनुसार 1946 में किया गया।
भारतीय संविधान सभा की रचना
- 15 मार्च 1946 को इंग्लैंड के प्रधानमंत्री एटली ने इंग्लैंड के हाउस ऑफ कॉमंस में यह घोषणा की कि भारतीयों को
- स्वतंत्र होने का अधिकार है और भारतीय संविधान की रचना के लिए मंत्रिमंडल मिशन योजना (कैबिनेट मिशन) की घोषणा की
- इस मिशन में 3 सदस्य थे
- स्टेफर्ड क्रिप्स (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष)
- ए वी एलेग्जेंडर (नौसेना मंत्री)
- पैथिक लोरेंस (भारतीय सचिव)
- इस मिशन के अध्यक्ष पैथिक लोरेंस थे और यह 26 मार्च 1946 को भारत (दिल्ली) पहुंचे
- भारत में आने के बाद कैबिनेट मिशन ने अंतरिम सरकार की स्थापना की और संविधान सभा के गठन के लिए योजना प्रस्तुत की
- इस योजना में निम्नलिखित प्रावधान थे
- सविधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधान सभा के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा किया जाएगा
- प्रति दस लाख व्यक्तियों के लिए संविधान सभा में एक व्यक्ति का चुनाव किया जाएगा
- संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निर्धारित की गई
- इनमें से
- 292 प्रतिनिधि ब्रिटिश भारत के 11 प्रांतों से चुने जाने थे
- 4 प्रतिनिधि चीफ कमिश्नरी प्रांतों (दिल्ली,अजमेर-मारवाड़,कुर्ग और ब्रिटिश बलूचिस्तान) से चुने जाने थे
- बचे हुए 93 प्रतिनिधि देसी रियासतों से चुने जाने थे
- जुलाई-अगस्त 1946 में ब्रिटिश भारत के प्रांतों में संविधान सभा के प्रतिनिधियों के लिए चुनाव हुए
- चुनाव में मतदाताओं को 3 वर्गों में बांटा गया
- साधारण (हिंदू पारसी ईसाई)
- मुस्लिम
- सिक्ख
- 210 साधारण स्थानों में से 199 स्थान कॉन्ग्रेस को प्राप्त हुए तथा बचे हुए 11 स्थान अन्य पार्टियों को मिले
- 78 मुस्लिम सीटों में से 73 मुस्लिम सीटें मुस्लिम लीग को मिली
- बाकी बची हुई सीटें अन्य पार्टियों को मिली सिक्ख समुदाय के लिए आरक्षित 4 सीटों के लिए किसी का निर्वाचन नहीं हुआ बाद में सिख समुदाय को संविधान सभा में स्थान दिया गया
- इस प्रकार भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ
संविधान सभा के अधिवेशन
पहला अधिवेशन
- संविधान सभा का पहला अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को हुआ
- इस बैठक में 209 सदस्य शामिल थे
- इसी बैठक में सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया
दूसरा अधिवेशन
- संविधान सभा का दूसरा अधिवेशन 11 दिसंबर 1946 को हुआ
- इसी अधिवेशन के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया
- साथ ही साथ एच सी मुखर्जी को उपाध्यक्ष तथा बी एन राव को संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया
- 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा का उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया
नोट: उद्देश्य प्रस्ताव संविधान की प्रक्रिया एवं आदर्शों का प्रतिरूप था जिसके अनुसार भारतीय संविधान का निर्माण किया जाना था
चौथा अधिवेशन
- भारतीय संविधान सभा का चौथा अधिवेशन 14 जुलाई 1947 से 31 जुलाई 1947 तक चला
- इसी अधिवेशन के दौरान 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपनाया गया
भारत का विभाजन एवं संविधान सभा
- 15 अगस्त 1947 को माउंटबेटन योजना के तहत भारत का विभाजन हुआ
- विभाजन के पश्चात संविधान सभा
- विभाजन के पश्चात संविधान सभा पर उपस्थित सभी बाहरी प्रतिबंध खत्म हो गए इस वज\ह से अब भारतीय संविधान सभा अपने अनुसार स्वतंत्र रूप से संविधान का निर्माण कर सकती थी
- अब संविधान सभा को संविधान बनाने के साथ-साथ सामान्य कानूनों का निर्माण भी करना था जिससे देश की शासन व्यवस्था को ठीक प्रकार से चलाया जा सके
प्रारूप समिति
- 29 अगस्त 1947 को प्रारूप समिति के नियुक्ति की गई और डॉ भीमराव अंबेडकर को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया एवं इस समिति में कुल 7 सदस्य थे
- इसका कार्य भारतीय संविधान का मसौदा (Draft) तैयार करना था
प्रारूप समिति की रिपोर्ट
- 21 फरवरी 1948 को मसौदा समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की इसमें 35 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियां थी
- लगभग अगले 8 महीने तक इस पर विचार विमर्श किया गया और 26 नवंबर 1949 के दिन डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा संविधान पर हस्ताक्षर किए गए और भारतीय संविधान के निर्माण का कार्य पूरा हुआ
अंतिम अधिवेशन
- भारतीय संविधान सभा का अंतिम अधिवेशन 24 जनवरी 1950 को हुआ
- इस अधिवेशन के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया
- संविधान सभा के सभी सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए और भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू हो गया
- भारतीय संविधान की रचना में 2 साल 11 महीने 18 दिन लगे तथा 60 लाख रुपए खर्च हुए
भारतीय संविधान के मुख्य स्त्रोत का वर्णन करें
ब्रिटिश संविधान
- राष्ट्रपति संवैधानिक मुखिया
- लोकसभा अधिक शक्तिशाली
- उत्तरदाई मंत्रीमंडल
- संसदीय शासन प्रणाली
- कानून का शासन
- बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री
अमेरिकी संविधान
- मौलिक अधिकार
- उपराष्ट्रपति की व्यवस्था
- संविधान में संशोधन की विधि
- न्यायाधीशों की स्वतंत्रता व सर्वोच्चता
आयरलैंड का संविधान
- प्रसिद्ध व्यक्तियों का राज्यसभा में मनोनन
- प्रस्तावना में प्रयुक्त “हम भारत के लोग”
कैनेडियन संविधान
- केंद्र सरकार राज्य की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली
- वह सभी कार्यक्षेत्र जो संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में शामिल नहीं उन पर केंद्र सरकार का अधिकार
- राज्यपालों की नियुक्ति का ढंग
1935 का एक्ट
- लगभग 200 धाराओं को थोड़े से फेरबदल के साथ शामिल कर लिया गया
- संकटकाल की घोषणा
- केंद्र व राज्यों में शक्तियों का बंटवारा
- दो सदनों की व्यवस्था आदि
संविधान सभा का स्वरूप
- सांप्रदायिक रचना
- अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली
- कांग्रेस प्रभावी संस्था
- नाम मात्र के विरोधी
- वकीलों की भारी संख्या
प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारतीय संविधान के उद्देश्य, विचारधाराओं और सरकार के उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालती है
प्रस्तावना मुख्य रूप से तीन बातें बताती है: –
संविधान की शक्ति का स्त्रोत
- भारतीय संविधान की शक्ति का स्त्रोत “भारत के लोग हैं”
संविधान के उद्देश्य
- न्याय
- स्वतंत्रता
- समानता
- बंधुता
- एकता व अखंडता
शासन की व्यवस्था
- प्रभुत्व संपन्न (सभी निर्णय खुद लेने की क्षमता)
- समाजवादी (समाज की रक्षा व उन्नति सर्वोपरि)
- धर्मनिरपेक्ष (सभी धर्मों के प्रति समान भावना)
- लोकतांत्रिक (जनता का शासन)
- गणराज्य (राज्य का मुखिया लोगों द्वारा निर्वाचित)
नोट: – समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष शब्द को संविधान के 42 वें संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया
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