पाठ – 2
खेल तथा पोषण
This post is about the detailed notes of class 12 Physical Education Chapter 2 khel tatha poshan (Sports and Nutrition) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Physical Education as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 शारीरिक शिक्षा अध्याय 2 खेल तथा पोषण के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में शारीरिक शिक्षा पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Physical Education |
Chapter no. | Chapter 2 |
Chapter Name | खेल तथा पोषण (Sports and Nutrition) |
Category | Class 12 Physical Education Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
संतुलित आहार
संतुलित आहार एक ऐसा आहार है जिसमें कुछ निश्चित मात्रा और अनुपात में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ होते हैं ताकि कैलोरी, प्रोटीन, खनिज, विटामिन और वैकल्पिक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो और पोषक तत्वों के लिए एक छोटा सा भाग आरक्षित रहे।
भोजन के साथ आवश्यक तत्व होते हैं जो इस प्रकार है :-
- प्रोटीन
- कार्बोहाइड्रेट
- वसा
- विटामिन
- खनिज लवण
- जल
- फाइबर
नोट:- भोजन में प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट का अनुपात 1 : 1 : 4 होना चाहिए।
पोषण :-
- जैविक क्रियाओं का समायोजन जिनके द्वारा प्राणी अपनी क्रियाशीलता को बनाए रखने के लिए तथा अंगों की वृद्धि एवं उनके पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक पदार्थों को ग्रहण कर उनका उपयोग करता है पोषण कहलाता है।
- दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि पोषण, भोजन का विज्ञान है जो इस प्रक्रिया से संबंधित है जो बताती है कि भोजन कैसे पचता है, पोषक तत्व कैसे अवशोषित होते हैं, वे ऊतको द्वारा प्रयोग किए जाने के लिए कैसे वितरित होते हैं तथा अपशिष्ट पदार्थ शरीर के बाहर कैसे जाते हैं।
- पोषक तत्व :-
- पोषक तत्व वह पदार्थ हैं जो शरीर को समृद्ध करते हैं। यह ऊतकों का निर्माण और उनकी मरम्मत करते हैं, यह शरीर को उष्मा और ऊर्जा प्रदान करते हैं और यही ऊर्जा शरीर की सभी क्रियाओं को चलाने के लिए आवश्यक होती है।
- पोषक तत्व दो प्रकार के होते हैं:-
- वृहत ( Macro)
- सूक्ष्म (Micro)
वृहत पोषक तत्व (Macro Nutrients) :-
- वृहत पोषक तत्व वह पोषक तत्व होते हैं जो किसी व्यक्ति के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं।
- यह अधिक मात्रा में लिए जाते हैं।
- यह ऊर्जा प्रदान करते हैं।
- यह वृद्धि तथा मरम्मत कार्य हेतु आवश्यक होते हैं।
- इसके अंतर्गत 4 पोषक तत्व संकलित हैं।
कार्बोहाइड्रेटस (Carbohydrates) :-
इसके नाम के अंदर ही इसका अर्थ छुपा होता है तथा इसके नाम के तीन भाग किए जा सकते हैं:-
- कार्बो (carbo) , इसका अर्थ है कि उनमें कार्बन होती है।
- हाइड्रे ( Hydr) , इसका अर्थ है कि उनमें हाइड्रोजन होता है।
- ऐट (Ate) , इसका अर्थ होता है कि उसमें ऑक्सीजन होता है।
- कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं।
- इसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के परमाणु का अनुपात 2 : 1 होता है।
- कार्बोहाइड्रेट जैव योगिक होते हैं, जो हमारे शरीर में विभिन्न पाचन क्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- कार्बोहाइड्रेट को प्रोटीन व वसा की तुलना में पानी की कम मात्रा की आवश्यकता होती है।
- कार्बोहाइड्रेट्स मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:-
- साधारण कार्बोहाइड्रेट
- जटिल कार्बोहाइड्रेट
1) साधारण कार्बोहाइड्रेट :-
- ग्लूकोज, सुक्रोज ,माल्टोज, लैक्टोज आदि साधारण कार्बोहाइड्रेट के अंग है।
- यह पानी में घुलनशील होते हैं और रवेदार भी होते हैं तथा स्वाद में मीठे होते हैं।
2) जटिल कार्बोहाइड्रेट :-
- Starch, Glycogen,ग्लाइकोजन आदि जटिल कार्बोहाइड्रेट के अंग होते हैं।
- यह पानी में अघुलनशील होते हैं यह रवेदार नहीं होते।
प्रोटीन ( Protein)
- प्रोटीन कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन , नाइट्रोजन नामक तत्व से बनी होती है।
- प्रोटीन के अणु काफी बड़े होते हैं इसलिए वे प्रत्यक्ष रूप से हमारे रक्त में नहीं मिल पाते।
- प्रोटीन को हमारे पाचन क्रिया संस्थान के द्वारा अमीनो एसिड में बदल दिया जाता है।
- अमीनो एसिड की संख्या 23 होती है जिनमें से 9 अमीनो एसिड आहर में अवश्य उपलब्ध होने चाहिए।
- प्रोटीन नए ऊतकों का निर्माण करती है तथा मरम्मत भी करती है।
- शरीर को आदर्श शरीर भार के प्रति पौंड के अनुसार केवल 0.36 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
- प्रोटीन की कमी से हमारे शरीर में अनेक प्रकार के रोग हो सकते हैं जैसे Marasmus और Kwashiorkor ।
वसा (Fats)
- वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है।
- वसा में कार्बन, ऑक्सीजन व हाइड्रोजन नामक तत्वों का प्रतिशत क्रमशः 76, 12 व 12 होता है।
- वसा हमें गर्म रखती है तथा कोमल अंगों की सुरक्षा करती है।
- आहार में वसा के 3 भिन्न प्रकार होते हैं:-
- Saturated वसा
- Polyunsaturated वसा
- Mono-unsaturated वसा
- Saturated वसा को अधिक मात्रा में लेने से ह्रदय रोगों के होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है क्योंकि इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है।
जल (Water)
- यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है।
- जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है – H2O।
- मनुष्य के रक्त में 90% पानी होता है।
- यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार पानी वृहत पोषक तत्व में सम्मिलित नहीं है।
- यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है।
- यह शरीर के उपापचय हेतु अत्यधिक आवश्यक है।
- जल अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर भेजने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- जल पोषक तत्वों को शरीर की कोशिकाओं तक ले जाने में सहायक होते हैं।
सूक्ष्म पोषक तत्व (Micro Nutrients) :-
- सूक्ष्म पोषक तत्व या सूक्ष्मपोषकतत्व वो पोषक तत्व हैं जिनकी आवश्यकता जीवन भर लेकिन, बहुत कम मात्रा में पड़ती है।
- यह पोषक तत्व संख्या में दो होते हैं खनिज और विटामिन।
खनिज (Minerals) :-
- मानव शरीर का 4% भाग खनिजों से बना होता है।
- खनिज हमारे दांतो अंखियों में मांसपेशियों को स्वस्थ रखते हैं।
- खनिजों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है जो इस प्रकार हैं :-
- मैक्रो खनिज
- माइक्रो खनिज
मैक्रो खनिज:-
- मैक्रो खनिज की श्रेणी में बहुत से खनिज आते हैं जैसे कैलशियम, पोटैशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस आदि यह सब खनिज हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।
- कैल्शियम मारी अस्थियों और दांतों की वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं और यह रक्त के थक्के जमाने में सहायता करते हैं कैल्शियम को हम दूध, पनीर, अंडा, दही आदि के द्वारा प्रचुर मात्रा में ले सकते हैं।
- सोडियम मांसपेशियां क्रियाओं में सहायता करता है और यह तंत्रिका आवेग के प्रेषण में भी सहायता करता है सोडियम को हम साधारण नमक ,आचार, मक्खन, घी आदि के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।
- पोटेशियम हमारे शरीर में वह हमारे रक्त में पानी की मात्रा को बनाए रखने में सहायता करता है पोटेशियम के मुख्य स्रोत केला, टमाटर ,हरी पत्तेदार सब्जियां ,खट्टे फल आदि होते हैं।
माइक्रो खनिज :-
- माइक्रो खनिज की श्रेणी में बहुत से खनिज आते हैं जैसे आयोडीन, लोहा, क्रोमियम, तांबा, कोबाल्ट आदि।
- लोहा हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए अति आवश्यक होता है तथा इसकी कमी के कारण रक्त हीनता हो जाती है , लोहे को हम यकृत, अंडे ,पालक ,केले व हरी पत्तेदार सब्जियों से प्राप्त कर सकते हैं।
- कोबाल्ट हमारे शरीर में रक्तहीनता के बचाव करता है तथा इसे हम दूध व मीट से प्राप्त कर सकते हैं।
- आयोडीन थायरोक्सिन नामक हार्मोन का उत्पादन करता है जो हमारे शरीर की वृद्धि व विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। आयोडीन के अभाव के कारण हमारे शरीर में घेंघा रोग हो सकता है। आयोडीन को हम मछली व समुद्री भोजन से प्राप्त कर सकते हैं।
विटामिन (Vitamins)
- विटामिन एक प्रकार के रसायन होते हैं जिनकी आवश्यकता शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत कम मात्रा में होती है।
- विटामिन को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं:-
- वसा में घुलनशील विटामिन
- पानी में घुलनशील विटामिन
वसा में घुलनशील विटामिन:-
यह वह विटामिन होते हैं जो वसा में घुल जाते हैं।
1) विटामिन A :-
- इसका रासायनिक नाम रेटिनल है।
- इस विटामिन की कमी के कारण रतौंधी जैसे रोग हो सकते हैं।
- इसके मुख्य स्रोत दूध, आम, पपीता और पीली सब्जियां होते हैं।
2) विटामिन D :-
- इसका रासायनिक नाम कॉलेकैल्सिफेरॉल है।
- इसकी कमी के कारण बेरी बेरी जैसा रोग हो सकता हैं।
- इसके मुख्य स्रोत दूध ,मक्खन, सूरज की किरने, मछली का तेल आदि होते हैं।
3) विटामिन E :-
- इसका रासायनिक नाम टोकॉफरोल है।
- इसकी कमी के कारण मांसपेशियों की क्षमता कम हो सकती है और कमजोरी तथा दृष्टि संबंधी समस्याएं हो जाती हैं।
- इसका मुख्य स्रोत अंडा, नारियल का तेल, दूध, मक्का आदि होते हैं।
4) विटामिन K :-
- इसका रासायनिक नाम फाइलोक्विनोन है।
- इसकी कमी के कारण शरीर में खून की कमी हो सकती है।
- इसके मुख्य स्रोत टमाटर, पालक ,बंद गोभी, सोयाबीन, गेहूं, अंडे आदि होते है।
पानी में घुलनशील विटामिन :-
- जे वह विटामिन होते हैं जो पानी में घुल जाते हैं तथा यह विटामिन नाइट्रोजन तथा सल्फर के तत्वों से मिलकर बने हुए होते हैं।
1) विटामिन B 1:-
- इस विटामिन का रसायनिक नाम थायमिन है।
- इसकी कमी के कारण बेरी बेरी रोग हो जाता है।
2) विटामिन B 2:-
- इसका रासायनिक नाम राइबोफ्लेविन होता है।
- इसकी कमी के कारण हॉट और मुंह फटने लगते हैं अर्थात दरारें पड़ने लगती हैं।
3) विटामिन B 3:-
- इसका रासायनिक नाम नियासिन होता है।
- इसकी कमी के कारण बालों का रंग उड़ने लगता है।
4) विटामिन B 5 :-
- इसका रासायनिक नाम पैंटोथैनिक एसिड होता है।
- इसकी कमी के कारण थकावट होने लगती है तथा नींद का अभाव ,अवसाद और चिड़चिड़ापन होने लगता है।
5) विटामिन B 6:-
- इसका रासायनिक नाम पायरिडोक्सिन है।
- इसकी कमी के कारण हिमोग्लोबिन की कमी होने लगती है।
6) विटामिन B 7 :-
- इसका रासायनिक नाम बायोटीन होता है।
- इसकी कमी के कारण अवसाद व तनाव हो सकता है।
7) विटामिन B 9 :-
- इसका रासायनिक नाम फोलेट अथवा फोलिक एसिड होता है।
- इसकी कमी के कारण खून की कमी होने लगती है।
8) विटामिन B 12 :-
- इसका रासायनिक नाम साइनोकोबालामिन होता है।
- इसकी कमी के कारण एनीमिया रोग हो जाता है।
9) विटामिन C:-
- इसका रासायनिक नाम सिट्रिक एसिड या एस्कोरबिक एसिड होता है।
- इसकी कमी के कारण स्कर्वी रोग हो जाता है।
- इसके मुख्य स्रोत नींबू, अनानास, अमरूद, आंवला, बेर, संतरा, टमाटर, हरी मिर्ची आदि होते हैं।
आहर के पोषक घटक:-
- आहार के पोषक घटक वे घटक होते हैं, जो ऊर्जा अथवा कैलोरी प्रदान करने में योगदान देते हैं जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज आदि।
आहार के गैर पोषक घटक:-
- आहार के गैर पोषक घटक घटक होते हैं, जो कैलोरी ऊर्जा उपलब्ध नहीं कराते जैसे फाइबर, जल ,रंग योगिक, स्वाद योगिक ,पादप योगिक इत्यादि।
स्वस्थ भार का अर्थ:-
- एक स्वस्थ वजन, या सामान्य वजन का मतलब है कि आपका बॉडी मास इंडेक्स एक वजन सीमा के भीतर आता है जो वजन से संबंधित बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बढ़ते जोखिम से जुड़ा नहीं है। बॉडी मास इंडेक्स आपकी ऊंचाई और आपके वजन से निर्धारित होता है।
बॉडी मास इंडेक्स मापने का तरीका:-
- बॉडी मास इंडेक्स एक व्यक्ति की ऊंचाई और वजन का उपयोग करके एक सरल गणना है। सूत्र (बीएमआई = किग्रा/एम2) है जहां किलो व्यक्ति का वजन किलोग्राम में होता है और एम2 मीटर वर्ग में उनकी ऊंचाई होती है। 25.0 या उससे अधिक का बीएमआई अधिक वजन वाला होता है, जबकि स्वस्थ श्रेणी 18.5 से 24.9 होती है। बीएमआई 18-65 वर्ष के अधिकांश वयस्कों पर लागू होता है।
स्वस्थ भार को नियंत्रित करने के तरीके:-
1) योगिक व्यायाम:-
प्राणायाम व योगिक आसन विशेष रूप से ध्यानात्मक आसन भार को नियंत्रित करने में सहायक है।
2) फास्ट फूड से दूर रहे :-
पिज़्ज़ा, बर्गर, चॉकलेट जैसे पदार्थों में कैलोरीज बहुत अधिक होती है तथा अधिक कैलोरी ग्रहण करने सेआपका मोटापा बढ़ सकता है।
- अधिक कैलोरी वाले भोजन से दूर रहे जैसे आलू, चावल, चीनी, टॉफी ,चॉकलेट, अन्य मिष्ठान आदि।
- अपने नियमित भोजन अर्थात ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के अलावा बार-बार खाने के बचे।
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