पाठ – 5
समकालीन दक्षिण एशिया
This post is about the detailed notes of class 12 Political Science Chapter 5 samkalin dakshin asia (Contemporary South Asia) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Political Science as a subject and studying in class 12thfrom CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 राजनितिक विज्ञान अध्याय 5 समकालीन दक्षिण एशिया विश्व में सुरक्षा के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में राजनितिक विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter no. | Chapter 5 |
Chapter Name | समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) |
Category | Class 12 Political Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
दक्षिण एशिया
दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मुख्य रूप से आठ देश आते है।
- भारत
- नेपाल
- पाकिस्तान
- मालदीव
- भूटान
- श्रीलंका
- अफगानिस्तान
- बांग्लादेश
दक्षिण एशिया की विशेषताएं
भौगौलिक
- इस क्षेत्र के उत्तर में हिमलाय की श्रृंखला, दक्षिण में हिन्द महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर है।
- इन विभिन्नताओं की वजह से ही यह क्षेत्र में सांस्कृतिक और सामाजिक विभिन्नताओं से भरा पड़ा है।
राजनीतिक
- सभी देशो द्वारा लोकतंत्र का समर्थन
- देशो की राजनीतिक प्रणाली स्थिर नहीं रही।
- भारत और श्रीलंका आज़ादी के बाद लोकतंत्र कायम रखने में सफल रहे है
- पाकिस्तान और बांग्लादेश में लोकतंत्र और सैन्य दोनों तरह का शासन रहा है।
- नेपाल में 2006 तक संवैधानिक राजतन्त्र था और फिर लोकतंत्र आया
- मालदीव 1968 तक सल्तनत हुआ करता था अब यहाँ पर लोकतंत्र है।
दक्षिण एशिया के देशो की समस्याएँ
- सीमा विवाद
- नदी जल विवाद
- विद्रोह
- जातीय संघर्ष
- ख़राब आर्थिक स्तिथि
दक्षिण एशिया के देशो स्तिथि
पाकिस्तान
- आज़ादी के बाद अयूब खान के नेतृत्व में पाकिस्तान में सैन्य शासन आया
- जनता की नाराज़गी की वजह से जनरल याहिया खान ने अयूब खान का तख्तापलट किया और खुद शासन में आ गए।
- 1971 में हुए बांग्लादेश संकट के बाद पाकिस्तान में ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के नेतृत्व में लोकतान्त्रिक सरकार बनी।
- यह सरकार 1977 तक चली और बाद जिया उल हक़ ने सरकार का तख्तापलट किया और फिर से पाकिस्तान में सैन्य शासन आया।
- 1982 के बाद पाकिस्तान में लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन होने लगे और 1988 में बेनज़ीर भुट्टो के नेतृत्व में एक बार फिर से लोकतान्त्रिक सरकार बनी
- यह सरकार भी लम्बे समय तक नहीं चली और 1999 में एक बार फिर से जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया।
पाकिस्तान में लोकतंत्र स्थापित क्यों नहीं हो सका ?
- धर्मगुरुओ, सेना और भूस्वामियों का दबदबा
- भारत के नाम पर डरा कर सेना का शासन में आ जाना
- ज्यादातर संगठनों द्वारा सैन्य शासन का समर्थन
- अंतर्राष्ट्रीय समर्थन का ना मिलना
- अन्य देशो द्वारा अपने फायदे के लिए सैन्य शासन का समर्थन
- भ्रष्ट राजनीतिक दल
बांग्लादेश
- भारत की आज़ादी के बाद दो क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी ज़्यादा होने के कारण दो अलग अलग क्षेत्रों को भारत से अलग करके पाकिस्तान बनाया गया। इसमें से एक क्षेत्र पूर्व में था और दूसरा पश्चिम में था।
- यह पूर्वी पाकिस्तान ही 1971 के बाद बांग्लादेश बना
मुख्य समस्या
- पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषा बोलने वाले लोग ज़्यादा थे पर आज़ादी के बाद से ही पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगो पर उर्दू भाषा लादने की कोशिश की जिसका पूर्वी पाकिस्तान के लोगो द्वारा विरोध किया गया।
- पूर्वी पाकिस्तान के लोगो ने बंगाली संस्कृति के ऊपर हो रहे बुरे व्यव्हार का विरोध करना शुरू कर दिया।
- पश्चिमी पाकिस्तान के प्रभुत्व के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान में आंदोलन होने लगे और इन आंदोलनों का नेतृत्व शैख़ मुजीबुर्रहमान ने किया
- 1970 में हुए चुनावो में शैख़ मुजीबुर्रहमान की पार्टी आवामी लीग को पूर्वी पाकिस्तान की सभी सीटों पर जीत मिली
- पर पश्चिमी पाकिस्तान की सरकार द्वारा इसे माना नहीं गया और शैख़ मुजीबुर्रहमान को गिरफ़्तार कर लिया गया।
- पूर्वी पाकिस्तान में हो रहे आंदोलनों को दबाने के लिए याहिया खान ने सेना को भेजा जिसमे हज़ारो आंदोलनकारी पाकिस्तानी सेना के हाथो मारे गए।
पूर्वी पाकिस्तान की आज़ादी
- देश में ऐसी स्तिथि होने की वजह से हज़ारो लोग भाग कर भारत में आने लगे
- यह सब देखते हुए भारत ने पूर्वी पाकिस्तान की आज़ादी की मांग का समर्थन करना शुरू कर दिया और पूर्वी पाकिस्तान को आर्थिक एवं सैन्य सहायता दी।
- इस मदद की वजह से पश्चिमी पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध छिड़ गया।
- इस युद्ध में भारत जीता और पूर्वी पाकिस्तान आज़ाद हो कर एक नया देश बांग्लादेश बना
आज़ादी के बाद
- आज़ादी के बाद बांग्लादेश ने अपना संविधान बनाया और एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक एवं समाजवादी देश की घोषणा की
- 1975 में शैख़ मुजीबुर्रहमान ने संविधान में परिवर्तन किया और संसदीय प्रणाली की जगह अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली अपना ली।
- शैख़ मुजीबुर्रहमान ने अपनी पार्टी आवामी लीग को छोड़ कर सभी पार्टियों खत्म कर दिया।
- इस वजह से देश में तनाव बड़ा और सेना ने बगावत कर दी
- शैख़ मुजीबुर्रहमान सेना के हाथो मारे गए और बांग्लादेश में सैन्य शासन आ गया।
- इसके बाद जियाऊर्रहमान ने बांग्लादेश नेशनल पार्टी बनाई और व्यवस्था को सामान्य करने की कोशिश की पर इनकी भी हत्या कर दी गई
- जियाऊर्रहमान के बाद फिर से एच एम इरशाद के नेतृत्व में सैन्य शासन आ गया।
- छात्रों द्वारा इस शासन का विरोध किया गया और 1990 में सैन्य शासन खत्म हुआ
- इसके बाद लोकतंत्र की स्थापना की गई और 1991 के बाद से बांग्लादेश में लोकतंत्र है।
नेपाल
- इतिहास में नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र था और लम्बे समय तक यहां संवैधानिक राजतन्त्र रहा।
- इसी दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टिया और जनता लोकतंत्र की मांग करते रहे पर सेना का प्रयोग करके राजा ने इन आंदोलनों को दबा दिया।
- नेपाल की जनता ने अपनी कोशिशे जारी रखी और 1990 में राजा ने लोकतान्त्रिक संविधान की बात मान ली।
- 1990 से ही नेपाल में माओवादियों का प्रभाव भी बड़ा
- माओवादियों और राजा की सेना के बीच संघर्ष होने लगा और इसी संघर्ष में लोकतंत्र के लिए आंदोलन कर रहे लोग भी शामिल हो गए।
- इस तरह से नेपाल में त्रिकोणीय संघर्ष शुरू हो गया। यह संघर्ष लम्बे समय तक चला।
- 2002 में राजा द्वारा संसद को भंग कर दिया गया और सरकार को गिरा दिया गया।
- इसके विरोध में फिर से आंदोलन हुए और इस बार सरकार को झुकना पड़ा और 2006 से यहां पर एक लोकतान्त्रिक सरकार है
- नेपाल अपने संविधान का निर्माण चुका है।
श्री लंका
- श्री लंका 1948 में आज़ाद हुआ और आज़ादी के बाद से ही यहां पर लोकतंत्र कायम है।
- श्री लंका की मुख्य समस्या यहां का जातीय विवाद है।
- यह मुख्य रूप से दो जातीय है
- तमिल – भारत से जा कर श्री लंका में बस गए
- सिंघली – यह श्री लंका के मूल निवासी है।
संघर्ष का कारण
- श्री लंका के मूल निवासी यानि सिंघली यह मानते है की श्री लंका पर उनका अधिकार है और तमिलों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जानी चाहिए ।
- इस सोच की वजह से तमिलों को श्री लंका की राजनीती में बराबर हिस्सा नहीं मिला जिस वजह से उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा
- इन सब समस्याओ और भेदभाव की वजह से ही तमिलों ने LTTE (Liberation Tigers of Tamil Eelam) नाम से अपना एक संघटन बनाया और मांगे पूरी करवाने के लिए आक्रामक तरीका अपनाया ।
तमिलों की मांगे ।
- LTTE ने कहा की श्री लंका के एक क्षेत्र को अलग देश बनाया जाये ।
- वर्तमान में LTTE और इसके समर्थको का सफाया हो चुका है और श्री लंका के तमिल सामान अधिकारों की मांग कर रहे है ।
भारत का हस्तक्षेप
- भारत के तमिलों ने भारत सरकार पर दवाब बनाया और श्री लंका में तमिलों की स्तिथि सुधारने के लिए श्री लंका सरकार से बात करने की अपील की
- भारत सरकार ने श्री लंका की सरकार से बात करने की कोशिश की और 1987 में स्तिथि को सुधारने के लिए शांति सेना भेजी ।
- यह शांति सेना LTTE के साथ संघर्ष में फँस गई और श्री लंका के लोगो ने भी इस सेना का विरोध किया
- 1989 में भारत ने अपनी शांति सेना को वापस बुला लिया और शांति स्थापित करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका
श्री लंका की आर्थिक स्थिति
- गृहयुद्ध के बावजूद भी श्री लंका ने तेज़ गति से विकास किया।
- जनसख्या नियंत्रण के मामले में श्री लंका सबसे सफल रहा।
- दक्षिण एशिया में सबसे पहले श्री लंका ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
- श्री लंका का प्रति व्यक्ति सकल घरेलु उत्पाद भी दक्षिण एशिया में सबसे ज़्यादा है।
मालदीव
- 1965 तक मालदीव ब्रिटिश सरकार के आधीन था।
- 1965 में मालदीव को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली और राजा मुहम्मद फरीद दीदी के आधीन यह एक सल्तनत बन गया।
- 1968 में इस राजशाही को भी खत्म कर दिया गया गणतंत्र की स्थापना की गई जो आज तक कायम है।
भूटान
- भूटान ने अपना संविधान 2008 में लागु किया
- तभी से भूटान में वर्तमान में संवैधानिक राजतन्त्र की व्यवस्था है
भारत और दक्षिण एशिया के देशो के सम्बन्ध
भारत और पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान के बीच अभी तक 4 युद्ध हुए है
- 1947 (कश्मीर विवाद)
- 1965 (नदी जल बटवारा)
- 1971 (बांग्लादेश)
- 1999 (कारगिल का युद्ध )
संघर्ष के मुद्दे
- कश्मीर विवाद
- सीमा विवाद
- पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का समर्थन
- पाकिस्तान द्वारा अलगावाद को बढ़ावा देना
- नदी जल बटवारा
भारत और बांग्लादेश
विवाद
- हज़ारो बांग्लादेशियो का भारत में अवैध रूप से घुसना
- गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी जल बटवारा
- बांग्लादेश द्वारा भारत को प्राकृतिक गैस का निर्यात न करना
- बांग्लादेश द्वारा भारत विरोधी मुस्लिम जमातों का समर्थन
- भारतीय सेना को पूर्व में जाने के लिए रास्ता न देना ।
सहयोग
- अच्छे आर्थिक सम्बन्ध
- आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के मुद्दों पर सहयोग
- बांग्लादेश भारत की पूर्व चलो नीति का हिस्सा
भारत और नेपाल
संघर्ष
- इतिहास में व्यपार को लेकर भारत और नेपाल के बीच मतभेद रहा है ।
- भारत की चिंता चीन और नेपाल की दोस्ती को लेकर भी है ।
- नेपाल में बढ़ रहे माओवदी समर्थको को भारत अपने लिए खतरा मानता है ।
- नेपाल के द्वारा भारत विरोधी तत्वों पर कार्यवाही न किये जाने से भी भारत ना खुश है ।
- नेपाल को लगता है की भारत उनके अंदरूनी मामलो में दखलंदाजी करता है ।
सहयोग
- विज्ञान और व्यपार के क्षेत्र में सहयोग
- दोनों ही देशो के बीच मुक्त आवागमन का समझौता है जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना पासपोर्ट और वीसा के भारत से नेपाल और नेपाल से भारत आ जा सकता है ।
- भारत द्वारा कई योजनाओ में नेपाल की मदद की जा रही है ।
भारत और श्रीलंका
संघर्ष
- तमिलों की स्थिति
- 1987 में भारत द्वारा भेजी है शांति सेना जिसे श्री लंका के लोगो ने अंदरूनी मामलो में हस्तक्षेप समझा ।
सहयोग
- दोनों ही देशो के बीच मुक्त व्यापार का समझौता है ।
- श्री लंका में आई सुनामी के दौरान भारत द्वारा मदद किया जाना ।
भारत और भूटान
- भारत और भूटान के संबंध बहुत अच्छे है ।
- भूटान ने भारत विरोधी उग्रवादियों को अपने यहाँ से भगा दिया जिससे भारत को मदद मिली ।
- भारत भूटान में पनबिजली जैसी परियोजनाओं में मदद कर कर रहा है ।
- भारत भूटान में विकास के लिए सबसे ज़्यादा अनुदान देता है ।
भारत और मालदीव के सम्बन्ध
- 1988 में श्री लंका से आये कुछ सैनिको ने मालदीव पर हमला कर दिया ।
- मालदीव ने भारत से मदद मांगी और भारत ने अपनी सेना भेज कर मालदीव की मदद की
- मालदीव के आर्थिक विकास में मदद ।
- मालदीव के पर्यटन और मतस्य उद्योग का भारत द्वारा समर्थन
दक्षेश (सार्क)
दक्षिण एशिया के देशो में सहयोग कायम करने के लिए दक्षेश को बनाया गया
SAARC – South Asian Association for Regional Corporation
दक्षेश – दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन
स्थापना – 1985
मुख्यालय – काठमांडू (नेपाल)
सदस्य – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्री लंका, मालदीव अफगानिस्तान (2007 में शामिल)
उद्देश्य
- दक्षिण ऐसा में शांति और सहयोग कायम करना
- मुक्त व्यपार क्षेत्र बनाना
- पर दक्षेश सफल नहीं हो सका ।
कारण
- देशो के बीच विवाद
- एकता का न होना
- विवादों का समाधान न निकल पाना
साफ्टा
SAFTA – South Asian Free Trade Area
साफ्टा – दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र
लागु हुआ – 2006 में
उद्देश्य
- दक्षिण एशिया के देशो के आपसी व्यपार के बीच लगने वाला सीमा शुल्क कम करना ।
स्तिथि
- यह भी असफल रहा क्योकि छोटे देश मानते है की इस समझौते के द्वारा भारत उनके बाज़ारो का फ़ायदा उठाना चाहता है ।
नोट : भारत का नेपाल, भूटान और श्री लंका के साथ मुक्त व्यापार समझौता है ।
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