पाठ – 9
भारतीय राजनीती : नए बदलाव
This post is about the detailed notes of class 12 Political Science Chapter 9 Bhartiya rajniti naye badlav (recent Developments in Indian politics) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Political Science as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 राजनितिक विज्ञान अध्याय 9 भारतीय राजनीती : नए बदलाव के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में राजनितिक विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter no. | Chapter 9 |
Chapter Name | भारतीय राजनीती : नए बदलाव (recent Developments in Indian politics) |
Category | Class 12 Political Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
भारतीय राजनीति (1991)
1991 के बाद भारतीय राजनीति में पांच मुख्य बदलाव आए
- अयोध्या विवाद
- मंडल मुद्दा
- नई आर्थिक नीति
- गठबंधन के दौर की शुरुआत
- कांग्रेस के प्रभुत्व की समाप्ति
बाबरी मस्जिद
बाबरी मस्जिद का इतिहास
- भगवान राम जिन्हें की हिंदू संस्कृति के मुख्य भगवानों में से एक माना जाता है, का जन्म अयोध्या में हुआ था
- ऐसा माना जाता है कि मध्यकालीन भारत में भगवान राम की जन्मभूमि पर एक मंदिर बनाया गया था
- 1528- 29 के दौर में इस मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद बनाई गई
- इस मस्जिद को मीर बाकी द्वारा बनाया गया था जो कि बाबर का एक अधिकारी था
- इस मस्जिद को बाबरी मस्जिद कहा जाने लगा
अयोध्या विवाद क्या है?
अयोध्या विवाद में संघर्ष इस बात को लेकर है कि क्या सच में भगवान राम के मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया या नहीं
विवाद की शुरुआत
- मस्जिद के निर्माण के बाद मुसलमान मस्जिद के अंदर जाकर इबादत किया करते थे जबकि हिंदुओं के लिए बाहर एक अलग से चबूतरा बनाया गया था जहां पर वह पूजा किया करते थे
- 1853 के दौर में मस्जिद को लेकर छोटे-मोटे विवाद हुए जिन्हें उस समय की ब्रिटिश सरकार द्वारा आराम से सुलझा लिया गया और यह व्यवस्था जारी रही
आजादी के बाद
- 22, 23 दिसंबर 1949 की रात को कुछ लोगों ने मस्जिद के अंदर घुसकर वहां रामलला (भगवान राम के बचपन की मूर्ति) को रख दिया
- यहां पर खबर यह फैलाई गई कि बाबरी मस्जिद में रामलला खुद प्रकट हुए हैं
- इस घटना को देखते हुए कोर्ट में एक याचिका दायर की गई और कहा गया कि क्योंकि अब वहाँ रामलला प्रकट हो चुके हैं तो इस वजह से हिंदुओं को वहां पर पूजा अर्चना करने की अनुमति दी जानी चाहिए
- पर कोर्ट ने इस बात से पूरी तरह से मना कर दिया और अपने फैसले के अंदर कहा कि यह एक विवादित मुद्दा है और इससे देश में अशांति पैदा होने की आशंका है
- इस वजह से इस क्षेत्र को स्थानीय प्रशासन को सौंप दिया गया और बाबरी मस्जिद पर ताला लगा दिया गया
- हिंदू और मुस्लिम दोनों को ही बाबरी मस्जिद में इबादत और अर्चना करने से रोक दिया गया
अयोध्या विवाद और 1980 का दौर
- 1980 के दौर में इस विवाद ने जोर पकड़ा
- इस दौर में विश्व हिंदू परिषद ने मांग उठाई की राम जन्म भूमि पर राम मंदिर बनाया जाना चाहिए और इसे भारतीय राजनीति का एक मुख्य मुद्दा बना दिया
- भारतीय जनता पार्टी ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया
- दबाव में आकर सरकार ने बाबरी मस्जिद के ताले को खोल दिया
- ताला खुलने के बाद देश में कई जगहों पर दंगे हुए और इसमें अनेकों लोग मारे गए
- भारतीय जनता पार्टी ने इसे राष्ट्रीय राजनीति का एक अहम मुद्दा बना दिया और यह विवाद धीरे-धीरे गंभीर होता गया
कार सेवा और बाबरी मस्जिद का विध्वंस
- ताला खुलने के बाद कार सेवा शुरू हुई
- कार सेवा का अर्थ
स्वयं जाकर सेवा करना अर्थात मंदिर निर्माण के अंदर अपना श्रमदान करना यानी वहां पर जाकर कार्य करना या दान देना
- इसी दौर में लालकृष्ण आडवाणी द्वारा एक रथ यात्रा निकाली गई जो कि गुजरात में सोमनाथ से शुरू होकर अयोध्या तक थी
- इसके बाद कार सेवा का प्रचलन बढ़ा और 6 दिसंबर 1992 में इन कार सेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया गया
- वहां पर एक छोटा सा मंदिर बना कर रामलला की मूर्ति की स्थापना की गई
बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद
- बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद देश में बड़े स्तर पर दंगे हुए
- इसका सबसे ज्यादा असर बंबई में देखने को मिला
- यह विवाद एक लंबे समय तक चला और
- इसका असर अन्य देशों जैसे कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी देखने को मिला
अयोध्या विवाद पर फैसला
- 9 नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया
- 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को रामलला के मंदिर निर्माण के लिए दिया गया
- मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ की मुख्य भूमि दी गई
गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे
- 2002 के फरवरी, मार्च के समय गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई
- उस समय गुजरात में भाजपा की सरकार थी और नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे
ऐसा क्यों हुआ ?
- इन दंगों की शुरुआत गुजरात के गोधरा स्टेशन पर घटी एक दुर्घटना से हुई
- गुजरात के गोधरा स्टेशन पर कारसेवकों की एक ट्रेन अयोध्या से आ रही थी
- इस ट्रेन बोगी में अचानक से आग लग गई जिसमें लगभग 57 कारसेवक मारे गए
- ऐसा अनुमान लगाया क्या कि इस बोगी में मुसलमानों द्वारा आग लगाई गई थी
- और इसी अनुमान के कारण गुजरात में बड़े स्तर पर दंगे हुए
- इन दंगों में लगभग लोग मारे गए
- मानव अधिकार आयोग और सभी बुद्धिजीवियों द्वारा गुजरात सरकार की आलोचना की गई
- और यह दंगे गुजरात में लगभग 1 महीने तक चले
शाहबानो केस (1985)
- शाहबानो 62 वर्ष की एक मुस्लिम महिला थी
- इन्हें इनके पति द्वारा तलाक दे दिया गया और वृद्ध होने के कारण यह अपना गुजारा करने में असमर्थ थी
- इसी स्थिति को देखते हुए उन्होंने अदालत में एक अर्जी दायर की और अपने पति से गुजारे के लिए भत्ते की मांग की
- अदालत ने उनकी इस मांग को सही ठहराया और उनके पक्ष में फैसला दिया
मुख्य विवाद
- पुरातन पंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप बताया और इस फैसले का विरोध किया
- मुस्लिम नेताओं के दबाव में आकर राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला अधिनियम पास किया
- इस अधिनियम के अंतर्गत कोर्ट के फैसले को पलट दिया गया और मुस्लिम लॉ को सही ठहराया
- सभी बुद्धिजीवियों, महिला संगठनों और मुस्लिम महिला की जमात ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया
- भारतीय जनता पार्टी ने राजीव गांधी सरकार के इस फैसले का खुलकर विरोध किया और आलोचना की
मंडल आयोग (1978)
- 1977 के समय एक बड़ा मुद्दा था पिछड़े वर्ग के लोग का विकास इसे देखते हुए जनताद्वारा मंडल आयोग का गठन किया गया।
अध्यक्ष
- बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल
कार्य
- पिछड़ी हुई जातियों की पहचान करने और उनका विकास करने (आरक्षण) के तरीके बताना
मंडल आयोग की सिफारिशें
- अपनी सिफारिशों के अंदर मंडल आयोग ने शिक्षा संस्था और सरकारी नौकरी में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27% के आरक्षण की सिफारिश की
- 1990 में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने इन सिफारिशों को लागू करने के प्रयास की
सिफारिश लागू किए जाने के परिणाम
- देश में बड़े स्तर पर दंगे हुए
- इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय ले जाया गया और यह केस इंदिरा साहनी केस के नाम से प्रसिद्ध हुआ
- अंत में सर्वोच्च न्यायालय ने भी आरक्षण के समर्थन में फैसला सुनाया
- मॉडल आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया गया
नई आर्थिक नीति (1991)
- नरसिम्हा राव की सरकार द्वारा 1991 में नई आर्थिक नीति को अपनाया गया
- उस दौर में भारत के
- नई आर्थिक नीति के मुख्य तीन पहलू थे
उदारीकरण (Liberalisation),
निजीकरण (Privatisation),
वैश्वीकरण (Globalisation)
उदारीकरण
- उदारीकरण के द्वारा सरकार व्यापार करने की नीतियों को सरल बनाना चाहती थी जिससे देश के अंदर व्यापार बड़े और विकास की गति में तेजी आए
निजीकरण
- निजीकरण का अर्थ – सरकारी कंपनियों को धीरे-धीरे निजी हाथों में सौंपना ताकि उनकी उत्पादकता और कार्य क्षमता को बढ़ाया जा सके
वैश्वीकरण
- वैश्वीकरण के द्वारा सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था से जोड़ने के प्रयास किए जिस वजह से देश में वस्तुओं और सेवाओं के प्रवाह में वृद्धि हुई और विकास की गति में तेजी आई
गठबंधन के दौर की शुरुआत
- 1991 के बाद देश में किसी भी एक पार्टी को लोकसभा चुनावो में पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल हो गया ।
- इसी वजह से देश में गठबंधन के युग की शुरूआत हुई
गठबंधन क्या है ?
गठबंधन वह स्थिति है जिसमे दो या
देश में मुख्य दो गठबंधन बने
- कांग्रेस संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
- भाजपा राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) / NDA (National Democratic Alliance)
कांग्रेस के प्रभुत्व की समाप्ति
- 1991 के बाद कांग्रेस के प्रभुत्व की समाप्ति हुई
- अब राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय पार्टियां महत्वपूर्ण होने लगी
- किसी भी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल हो गया
- इसी तरह कांग्रेस के प्रभुत्व की समाप्ति हुई
भारतीय जनता पार्टी (BJP) का उदय
- आपातकाल के बाद भारतीय जनसंघ जनता पार्टी में शामिल हो गया
- राजनीतिक प्रदर्शन खराब होने के कारण जनता पार्टी का विघटन हुआ
- वह नेता जो पहले भारतीय भारतीय जनसंघ के समर्थक थे उन्होंने 1980 में (BJP)के नाम से एक नई पार्टी बनाई
- जैसा कि अभी तक हमने देखा कि सातवें आम चुनाव में इंदिरा की वापसी हुई और कांग्रेस को बहुमतमिला
- इसके ठीक 4 साल बाद यानी 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही एक अंगरक्षक द्वारा की गई
- इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और इसके कुछ दिनों बाद ही 1984 में लोकसभा चुनाव हुए
- 1984 के आम चुनाव में राजीव गांधी ने कांग्रेस का नेतृत्व किया
- यह कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी जीत में से एक रही
- इस चुनाव में कांग्रेस ने 415 सीटें जीती
- भारतीय राजनीति में आज तक इतनी सीटें कोई और अन्य पार्टी नहीं जीत सकी
- राजीव गांधी की सरकार ने अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया
जीत का कारण
इंदिरा
- इसके बाद हुए नौवें आम चुनाव 1989
- इस बार कहानी बिल्कुल पलट गई
- पिछले चुनावों में 415 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस चुनाव में केवल 197 सीटें ही जीत सकी
कारण शाहबानो केस (1985), बाबरी मस्जिद )
- इस बार कांग्रेस ने विपक्ष में बैठने का फैसला लिया
- इन चुनावों के बाद सरकार बनी राष्ट्रीय मोर्चे की
- राष्ट्रीय मोर्चा एक गठबंधन था जिसमें जनता दल(1977) और कुछ अन्य क्षेत्रीय दल शामिल थे बाद में इन्हें भाजपा और वाम मोर्चे ने समर्थन दिया
- इस तरह राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार बनी
- राष्ट्रीय मोर्चा एक गठबंधन था जिसमें जनता दल(1977) और कुछ अन्य क्षेत्रीय दल शामिल थे बाद में इन्हें भाजपा और वाम मोर्चे ने समर्थन दिया
- दसवे आम चुनाव 1991 में हुए
- इसमें कांग्रेस की सरकार बनी और इन्हें AIDMK और कुछ अन्य दलों का समर्थन मिला
- इस दौरान नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने
महत्वपुर्ण घटनाये
नई आर्थिक नीति
बाबरी मस्जिद का विध्वंस
- इस सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया
- भारत में 11वे आम चुनाव 1996 में हुए
- मई 1996 में भाजपा की सरकार बनी पर अल्पमत में आने के कारण यह सरकार 13 दिनों में ही और
- दूसरी बार में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी
- संयुक्त मोर्चा को समर्थन कांग्रेस द्वारा दिया गया और एच डी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बने
- इसके बाद 12 वे आम चुनाव हुए
- 1998 में 12वे आम चुनाव हुए
- इसमें भाजपा का गठबंधन राजग / NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) जीता
- पर अल्पमत में होने के कारण सरकार जल्द ही गिर गई।
- यह सरकार सिर्फ 13 महीनो तक चली और फिर हुए देश में 13वे आम चुनाव
- 1999 में 13वे आम चुनाव हुए
- इसमें भाजपा का गठबंधन राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) जीता
- अटल बिहारी वाजपेई
- इस सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया
- देश में 14वे आम चुनाव 2004 में हुए
- 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस के गठबंधन संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) को बहुमत मिला
- मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने
- 2008 में देश में 15वे आम चुनाव हुए
- इसमें फिर से कांग्रेस के गठबंधन संप्रग को बहुमत मिला और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने
- 2014 में देश में 16वे आम चुनाव हुए और इस बार भाजपा के गठबंधन राजग को बहुमत मिला
- नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने
भारत में 17वे आम चुनाव 2019 में हुए इस बार फिर से भाजपा के गठबंधन राजग को बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने
सहमति
- इस पूरी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कई ऐसे मुद्दे थे जिन पर राजनीतिक पार्टी आपस में सहमत थी
- नई आर्थिक नीति
- समाज में पिछड़े हुए समूहों का विकास
- क्षेत्रीय दलों की भूमिका
- विचारधारा से जरूरी कार्य सिद्धि
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