पाठ – 1
राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां
This post is about the detailed notes of class 12 Political Science Chapter 1 Rashtra nirman ki chunautiyan (Challenges of nation Building) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Political Science as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 राजनितिक विज्ञान अध्याय 1 राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में राजनितिक विज्ञान पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
Board | CBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां (Challenges of nation Building) |
Category | Class 12 Political Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
भारत की आजादी
- 14, 15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत आज़ाद हुआ ।
- इस समय जवाहर लाल नेहरू द्वारा एक भाषण दिया गया जिसे ट्रिस्ट विद डेस्टिनी यानि भाग्यवधू से चीर प्रतीक्षित भेट कहा जाता है ।
- भारत को सामान्य रूप से आज़ादी नहीं मिली बल्कि भारत को आज़ादी के बाद तीन अलग-अलग भागो में बाँट दिया गया ।
- जिसमे से पहला हिस्सा था ब्रिटिश भारत, दूसरा हिस्सा था पाकिस्तान तथा तीसरा हिस्सा था देसी रजवाड़े (देसी रजवाड़ो का मतलब वो जगह जहाँ राजाओ का शासन हुआ करता था)
इस बटवारे की वजह था द्वि राष्ट्र सिद्धांत
द्वि राष्ट्र सिद्धांत
इस सिद्धांत को मुस्लिम लीग ने पेश किया। इस सिद्धांत के अनुसार भारत एक नहीं बल्कि दो अलग अलग कोमो का देश था इसीलिए दो अलग अलग देशो की मांग की गई । जिसमे से पहला देश था भारत जो की एक हिन्दू राष्ट्र बना तथा दूसरा देश था पाकिस्तान जो की एक मुस्लिम राष्ट्र बना। इस बटवारे की कुछ समस्याएँ भी थी ।
विभाजन की समस्याएँ
दो पाकिस्तान
इस सिद्धांत के अनुसार जिस जगह हिन्दू ज़्यादा थे उसे भारत तथा जहां मुस्लिम ज़्यादा थे उसे पाकिस्तान बनाया जाना था। पर समस्या यह हुई की उस समय भारत में दो ऐसे क्षेत्र थे जहां मुस्लिम आबादी ज़्यादा थी। एक था पूर्व में और दूसरा था पश्चिम में। इसी वजह से दो पाकिस्तान (पूर्वी पाकिस्तान तथा पश्चिमी पाकिस्तान) का निर्माण किया गया
राज्यों का विभाजन
पंजाब तथा बंगाल दो ऐसे राज्य थे जहाँ मुस्लिम तथा हिन्दू दोनों ही सामान मात्रा में थे इस वजह से इन राज्यों का विभाजन करना पड़ा ।
जनता की असहमति
बहुत से ऐसी लोग थे जो पाकिस्तान में नहीं जाना चाहते थे जिसमे से प्रमुख थे खान अब्दुल गफ्फार खान, इन्हे सीमान्त गाँधी भी कहा जाता था । इन्होने द्वि राष्ट्र सिद्धांत का खुल कर विरोध किया । ऐसे सभी लोगो की आवाज़ को दबा दिया गया तथा उन्हें पाकिस्तान में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा ।
अल्पसंख्यकों की समस्या
ऐसा नहीं था की पाकिस्तानी क्षेत्र में हिन्दू नहीं थे या भारतीय क्षेत्र में मुसलमान नहीं थे । दोनों ही क्षेत्रों में अल्पसंख्यक मौजूद थे । यह विभाजन की सबसे बड़ी समस्या थी और इसी समस्या का कोई समाधान निकाला न जा सका और यही समस्या आगे जाकर दोनों देशो में हुए दंगो का सबसे बड़ा कारण बनी ।
विभाजन के परिणाम
- पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान बने
- अत्यधिक हिंसा हुई, जान और माल दोनों का बहुत ज़्यादा नुकसान हुआ ।
- पाकिस्तान तथा भारत दोनों में ही शरणार्थी समस्या पैदा हुई ।
- विभाजन के कारण ही कश्मीर की समस्या भी पैदा हुई
राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां
विभाजन और इस त्रासदी से निपटने के बाद नेताओ का ध्यान उन समस्याओ की और गया जो अत्यंत महत्वपूर्ण थी । यह वो मुद्दे थे जिन पर सभी नेता स्वतन्त्रता से पहले से सहमत थे और अब इन्हे अस्तित्व में लाना था ।
अखंड भारत का निर्माण
भारत तीन अलग अलग हिस्सों में बट गया था। जिसमे से पहला हिस्सा था ब्रिटिश भारत, दूसरा हिस्सा था पाकिस्तान तथा तीसरा हिस्सा था देसी रजवाड़े (देसी रजवाड़ो का मतलब वो जगह जहाँ राजाओ का शासन हुआ करता था) ऐसी स्तिथि में देश में मौजूद 565 देसी रजवाड़ो को भारत में शामिल कर अखंड भारत बनाना एक चुनौती बन गया
लोकतंत्र स्थापित करना
आज़ादी के समय भारत में ज़्यादातर लोग अनपढ़ तथा गरीब थे ऐसी स्तिथि में भारत में लोकतंत्र की स्थापना करना किसी चुनौती से कम नहीं था ।
विकास
आज़ादी के समय भारत में ज़्यादातर लोग गरीब और अशिक्षित थे। देश को इस गरीबी तथा अशिक्षा की स्थिति से बाहर निकलना ज़रूरी था इसीलिए विकास भी स्वतंत्र के समय उपस्थित चुनौतियों में से एक था
रजवाड़ो की समस्या
- आज़ादी के समय अंग्रेज़ो ने ऐलान किया की भारत के साथ ही सभी देसी रजवाड़े भी ब्रिटिश राज से आज़ाद हो जायेंगे।
- सभी रजवाड़ो को अधिकार दिया गया की वह या तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते है या अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाये रख सकते है।
- यह फैसला लेने का अधिकार रजवाड़ो के राजाओ को दिया गया। यही से सारी समस्या शुरू हुई।
- विभाजन से हुए विध्वंस के बाद मौजूद सबसे बड़ी समस्या थी सभी 565 देसी रजवाड़ो का भारत का में विलय करके अखंड भारत का निर्माण करना। इस प्रक्रिया में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महत्वपुर्ण भूमिका निभाई।
सरदार वल्लभ भाई पटेल और राष्ट्रीय एकता
रजवाड़ो को शामिल करने के लिए भारत सरकार का तरीका लचीला था । सरकार द्वारा सामन्य बातचीत और बल प्रयोग दोनों तरीको को ज़रूरत अनुसार अपनाया गया ।
इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन
रजवाड़ो के विलय के लिए एक सहमति पत्र का निर्माण किया गया । इस सहमति पत्र को ही इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन कहते है । इस पर हस्ताक्षर करने का मतलब था की रजवाड़े भारत में शामिल होने के लिए तैयार है ।
ज्यादातर रजवाड़े भारत में शामिल होने के लिए राज़ी हो गए पर कुछ रजवाड़ो को भारत में शामिल करने में समस्याएँ आई ।
- सभी रजवाड़ों को भारत में शामिल करने का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को जाता है
- उनकी सूझबूझ और राजनीतिक ज्ञान के द्वारा उन्होंने सभी रजवाड़ों को मना कर भारत में शामिल करवाया और अखंड भारत बनाने में अहम योगदान दिया
- उनके इन्हीं योगदानो की वजह से महात्मा गांधी द्वारा उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी गई और साथ ही साथ वह देश के पहले गृह मंत्री बने
- वर्तमान दौर में सरकार द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) का निर्माण किया गया जो कि विश्व के कुछ सबसे बड़े स्टैच्यू में से एक है
हैदराबाद
- आज़ादी के समय हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रिसायत में से एक था ।
- इसके शासक को निजाम कहा जाता था ।
- निज़ाम उस समय दुनिया के कुछ सबसे आमिर लोगो में से एक था ।
- निज़ाम चाहता था की हैदराबाद भारत से अलग रहे और आज़ाद रियासत बने पर हैदराबाद में रहने वाले लोग उसके शासन से खुश नहीं थे ।
- जिस वजह से हैदराबाद के लोगो ने निज़ाम के खिलाफ आंदोलन करने शुरू किये ।
- यह सब देख कर एवं इस विद्रोह को रोकने के लिए निज़ाम ने रज़ाकारों को भेजा ।
- रजाकार निजाम के सैनिको को कहा जाता था। रजाकारों ने लूटपाट, हत्या और बलात्कार किये ।
- लोगो पर हो रहे इस अत्याचार को देखते हुए सितम्बर 1948 में भारतीय सेना ने हैदराबाद पर आक्रमण की किया ताकि सामान्य जनता को रजाकारों से बचाया जा सके ।
- यह युद्ध काफी दिनों तक चला और अंत में निज़ाम को हार माननी पड़ी और इस तरह हैदराबाद भारत का अंग बन गया ।
मणिपुर
- मणिपुर भारत के पूर्व में स्तिथ एक रियासत था ।
- यह के राजा थे बोध चंद्र सिंह ।
- लोगो के दवाब के कारण राजा को जून 1948 में चुनाव करवाने पड़े और इस तरह से मणिपुर में संवैधानिक राजतन्त्र को स्थापना हुई और भारत में सबसे पहले मणिपुर में ही सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार को अपना कर चुनाव हुए ।
- भारत में पूर्ण रूप से शामिल होने की बात को लेकर मणिपुर की विधानसभा में बहुत मतभेद थे ।
- कांग्रेस चाहती थी की मणिपुर पूरी तरह से भारत में शामिल हो जाये पर बाकि पार्टिया ऐसा नहीं चाहती थी ।
- अगर विधानसभा में भारत से अलग रहने का प्रस्ताव पास हो जाता तो मणिपुर को भारत में शामिल कर असंभव हो जाता
- इसी को देखते हुए भारतीय सरकार ने मणिपुर के राजा पर दवाब बनाया और उनसे पूर्ण विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए इस तरह मणिपुर भारत का अंग बन गया ।
- मणिपुर के लोगो को यह सही नहीं लगा और वहाँ की जनता काफी लम्बे समय तक इस फैसले से नाराज़ रही ।
जम्मू एवं कश्मीर
- भारत के सबसे उत्तरी हिस्से पर जम्मू एवं कश्मीर राज्य स्थित है
- आजाद होने से पहले जम्मू और कश्मीर रियासत हुआ करता था जिसके राजा हरि सिंह थे
- राजा हरि सिंह स्वत्नंत्र रहना चाहते थे जबकि पाकिस्तान कहता था कि जम्मू कश्मीर में मुस्लिम जनसंख्या ज्यादा है इसीलिए जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल किया जाना चाहिए
- इस मांग को देखते हुए पाकिस्तान ने आजादी के तुरंत बाद 1947 में जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने के मकसद से जम्मू कश्मीर पर हमला किया
- जम्मू कश्मीर के राजा हरी सिंह ने भारत से मदद मांगी और भारत ने उनकी मदद की
- इसी दौरान जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत के विलय पत्र यानी इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सप्रेशन पर हस्ताक्षर किए और अधिकारिक तौर से जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया
- इसी दौरान यह भी कहा गया कि जब स्थिति सामान्य हो जाएगी तो वहां पर जनमत संग्रह कराया जाएगा कि वहां के लोग किस देश में शामिल होना चाहते हैं
- 1947 में हुए युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया था जिसे पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है और भारत द्वारा इसे POK यानी Pakistan Occupied Kashmir कहा जाता है
- पर यह जनमत संग्रह आज तक नहीं कराया गया और जम्मू कश्मीर को धारा 370 के तहत विशेष अधिकार दिए गए
वर्तमान में जम्मू कश्मीर की स्थिति
- 2019 में सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया गया और जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया
- वर्तमान में जम्मू कश्मीर को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है
राज्यों का पुनर्गठन
- रियासतों के विलय के बाद मौजूद सबसे बड़ी समस्या थी की किस तरह से देश में राज्यों की सीमाओं को निर्धारित किया जाये ।
- ऐसा करना इसीलिए ज़रूरी था ताकि एक सामान संस्कृति और भाषा वाले लोग एक राज्य में रह सके । ब्रिटिश शासन काल में राज्यों की सीमाओं पर खास ध्यान नहीं दिया गया ।
- जब भी कोई नया क्षेत्र ब्रिटिश शासन के आधीन आ जाता था तो या तो उसे नया राज्य बना दिया जाता था या फिर पुराने राज्यों में शामिल कर दिया जाता था। इसी वजह से राज्यों की सीमाओं का पुनर्गठन किया जाना ज़रूरी था ।
समस्या
- भारत के नेताओ को यह डर था की अगर भाषा के आधार पर राज्य बनाये गए तो इससे अव्यवस्था फ़ैल सकती है और देश के टूटने का खतरा पैदा हो सकता है ।
- इसी के साथ ऐसा करने से सरकार का ध्यान अन्य मुख्य मुद्दों से भटक सकता है ।
- देश में राज्यों के पुनर्गठन के मुद्दे को लेकर आंदोलन होने शुरू हो गए। सबसे बड़ा आंदोलन हुआ मद्रास में जहाँ तेलगु भाषा बोलने लोगो ने मद्रास से अलग एक तेलगु भाषी राज्य आंध्र प्रदेश बनाने की मांग की ।
- मद्रास में उपस्थित लगभग सभी राजनीतिक पार्टिया और नेता तेलगु भाषी राज्य बनाने के पक्ष में थे ।
- जब केंद्र सरकार द्वारा ये मांग पूरी नहीं की गई तो काफी सारे विधायकों ने इस्तीफा दे दिया ।
- पुरे मद्रास में अव्यवस्था फ़ैल गई । लोग बड़ी संख्या में सड़को पर आ गए और हिंसक घटनाये भी हुई ।
परिणाम
- इस स्तिथि को देखते हुए केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और 1952 के दिसंबर के प्रधानमन्त्री ने आंध्र प्रदेश नाम से एक अलग राज्य बनाने की घोषणा की ।
राज्य पुनर्गठन आयोग
देश में बढ़ती हुई अव्यवस्था को देखते हुए सरकार ने राज्यों के पुनर्गठन के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग का निर्माण किया ।
कार्य
इस आयोग का कार्य राज्य पुनर्गठन की प्रक्रिया पर विचार करना था ।
परिणाम
- आयोग ने भी माना की राज्यों का पुनर्गठन वहाँ बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए ।
- इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ
- इस अधिनियम के आधार पर देश में 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाये गए ।
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