आधारिक संरचना (CH-8) Notes in Hindi || CBSE Board Class 12 Economics Chapter 8 Notes in Hindi ||

पाठ – 8

आधारिक संरचना

This post is about the detailed notes of class 12 Economics Chapter 8 aadhaarik sanrachana (Infrastructure) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Economics as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.

यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 अर्थशास्त्र अध्याय 8 आधारिक संरचना के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में अर्थशास्त्र पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।

BoardCBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectIndian Economics (भारतीय अर्थशास्त्र)
Chapter no.Chapter 8
Chapter Nameआधारिक संरचना (Infrastructure)
CategoryClass 12 Economics Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Indian Economics Chapter 8 आधारिक संरचना (Infrastructure) in Hindi
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2 आधारिक संरचना

आधारिक संरचना

  • आधारिक संरचना से अभिप्राय किसी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की सहयोगी व्यवस्था से है जो आर्थिक विकास और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है
  • उदाहरण के लिए शक्ति के साधन परिवहन संचार स्कूल कॉलेज अस्पताल आदि

आधारिक संरचना के प्रकार

आधारिक संरचना को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है: –

आर्थिक आधारिक संरचना

  • आर्थिक आधारिक संरचना से अभिप्राय आधारिक संरचना के उस भाग से है जो अर्थव्यवस्था में उत्पादन गतिविधि के विकास के लिए आवश्यक है उदाहरण के लिए परिवहन शक्ति के साधन संचार आदि

सामाजिक आधारिक संरचना

  • सामाजिक आधारिक संरचना से अभिप्राय आधारिक संरचना के उस भाग से है जो देश के सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है उदाहरण के लिए स्कूल कॉलेज अस्पताल आदि

आधारिक संरचना का महत्व 

उत्पादकता में वृद्धि: –

  • विकसित आधारिक संरचना होने के कारण उत्पादकता में वृद्धि होती है
  • उदाहरण के लिए: –
  • अच्छे सिंचाई व्यवस्था के कारण कृषि का विकास होता है
  • उच्च स्तरीय शक्ति साधनों और परिवहन व्यवस्था के कारण उद्योग विकसित होते हैं
  • उच्च स्तरीय संचार एवं परिवहन व्यवस्थाओं के कारण पर्यटन का विकास होता है

निवेश में वृद्धि: –

  • विकसित आधारिक संरचना के कारण निवेश में वृद्धि होती है
  • उदाहरण के लिए: –
  • उच्च स्तरीय राजमार्गों के विकास की वजह से देश के सभी भागों में उद्योगों का विकास होता है क्योंकि विकसित राजमार्गों  वस्तुओं के परिवहन को आसान बनाते हैं

बाजार के आकार में वृद्धि: –

  • आधारिक संरचना के कारण देश के दूरदराज के इलाके मुख्यधारा से जुड़ जाते हैं जिस वजह से बाजार  के आकार में वृद्धि होती है

जीवन की गुणवत्ता में सुधार: –

  • सामाजिक आधारिक संरचना( शिक्षा  स्वास्थ्य) के कारण लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है एवं उच्च स्तरीय परिवहन एवं संचार सेवाओं के कारण देश में वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह बढ़ता है

रोजगार में वृद्धि: –

  • विकसित आधारिक संरचना के कारण एक देश के सभी आर्थिक क्षेत्रों का विकास होता है  जिस वजह से रोजगार में वृद्धि होती है

भारत में आधारिक संरचना की स्थिति

  • 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत  द्वारा आधारिक संरचना के विकास में  अपने संपूर्ण सकल घरेलू उत्पाद का केवल 30 प्रतिशत निवेश किया जाता है जबकि चीन 44% और इंडोनेशिया जैसे देश 34 प्रतिशत निवेश करते हैं
  • 2011 की जनगणना के अनुसार 
  • भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 56% परिवारों के पास बिजली की सुविधा उपलब्ध है
  • 69%  परिवार पीने के पानी के लिए खुले स्त्रोतों जैसे कि कुँए टैंक तालाब झरना आदि पर निर्भर है
  • केवल 30% ग्रामीण परिवारों को सफाई सुविधाएं उपलब्ध है

ऊर्जा

  • ऊर्जा आर्थिक आधारिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है
  • सभी प्रकार के उत्पादन क्रियाओं में ऊर्जा की आवश्यकता होती है
  • उदाहरण के लिए: –
  • कृषि में ट्रैक्टर ट्यूबवेल आदि के लिए द्वितीय क्षेत्र में मशीनों को चलाने के लिए और तृतीय क्षेत्र में कंप्यूटर आदि को चलाने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता  होती है


ऊर्जा के स्त्रोत

  • ऊर्जा के स्रोतों से हमारा अभिप्राय उन साधनों से है जिनसे हमें ऊर्जा की प्राप्ति होती है
  • ऊर्जा के स्रोतों को मुख्य रूप से दो आधारों पर बांटा जाता है
  • क्रय विक्रय के आधार परवाणिज्यिक एवं गैर वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत
  • प्रयोग के आधार पर ऊर्जा के परंपरागत एवं गैर परंपरागत स्त्रोत

वाणिज्यिक एवं गैर वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत

वाणिज्यिक ऊर्जा के स्त्रोत: –

  • ऊर्जा के वाणिज्यिक स्त्रोत वरह स्त्रोत है जिन्हें प्राप्त करने के लिए  कीमत देनी पड़ती है
  • इनका प्रयोग मुख्य रूप से औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है
  • वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोतों का क्रय विक्रय बाजार में किया जाता है
  • इन वस्तुओं के क्रय एवं विक्रय के लिए घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध होता है
  • उदाहरण के लिए: –
  • पेट्रोलियम पदार्थ प्राकृतिक गैस बिजली कोयला आदि

ऊर्जा के गैर वाणिज्यिक स्त्रोत: –

  • गैर वाणिज्यिक उर्जा के स्त्रोत वह स्त्रोत है जिन्हें प्राप्त करने के लिए कोई कीमत नहीं देनी पड़ती यह निशुल्क वस्तुओं के रूप में उपलब्ध होते हैं
  • इनका उपयोग मुख्यतः घरेलू उपभोग के लिए किया जाता है
  • इन  स्त्रोत की मुख्य रूप से कोई कीमत नहीं होती है और इनका व्यापार स्थानीय बाजार तक सीमित होता है
  • उदाहरण के लिए: –
  • जलाऊ लकड़ी कृषि अपशिष्ट पशु अपशिष्ट आदि

ऊर्जा के परंपरागत एवं गैर परंपरागत स्त्रोत

ऊर्जा के परंपरागत संसाधन: –

  • ऊर्जा के परंपरागत संसाधन उन संसाधनों को कहा जाता है जिनका प्रयोग मानव एक लंबे समय से कर रहा है।
  • ऊर्जा के परंपरागत संसाधन और अनवीकरणीय है अर्थात  एक बार उपयोग किए जाने के बाद इन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता।
  • ऊर्जा के परंपरागत संसाधन समाप्य हैं अर्थात एक समय के बाद यह सभी समाप्त हो जाएंगे।  
  • विश्व में ऊर्जा के परंपरागत संसाधनों का वितरण असामान है। 
  • विश्व में प्रदूषण का मुख्य कारण ऊर्जा के परंपरागत संसाधन है।  
  • उदाहरण: – 
    • कोयला, पेट्रोलियम आदि। 

ऊर्जा के अपरंपरागत संसाधन: –

  • ऊर्जा के अपरंपरागत संसाधन उन संसाधनों को कहा जाता है जिनका प्रयोग मानव लंबे समय से नहीं कर रहा परंतु वर्तमान में उनका प्रयोग शुरू हुआ है। 
  • ऊर्जा के अपरंपरागत संसाधन नवीकरणीय है अर्थात एक बार उपयोग किए जाने के बाद इन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है।  
  • ऊर्जा के अपरंपरागत संसाधन असमाप्य है अर्थात यह कभी भी समाप्त नहीं होंगे।  
  • परंपरागत संसाधनों की तुलना में अपरंपरागत संसाधन अधिक समान रूप से  वितरित है।  
  • इससे पर्यावरण को लगभग ना के बराबर नुकसान होता है।  
  • उदाहरण के लिए: –
    • सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा आदि।  

भारत में ऊर्जा का उपभोग

  • भारत में ऊर्जा का सबसे अधिक प्रयोग द्वितीय क्षेत्र में किया जाता है जो कि लगभग 42% के आसपास है
  • कृषि क्षेत्र में वाणिज्यिक ऊर्जा का प्रयोग बहुत कम किया जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में कृषि मुख्य रूप से शारीरिक श्रम पर निर्भर है
  • समय के साथ-साथ भारत के यातायात क्षेत्र में ऊर्जा उपभोग में कमी आ रही है

शक्ति (बिजली)

  • शक्ति अर्थात बिजली आधारिक संरचना के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है
  • 2016 के अनुसार भारत में बिजली उत्पादन के निम्नलिखित मुख्य स्त्रोत है
  • तापीय ऊर्जा  लगभग 82%
  • जल  ऊर्जा  लगभग 8.5 प्रतिशत
  • परमाणु ऊर्जा लगभग 2.5 प्रतिशत
  • नवीकरणीय ऊर्जा लगभग 7%

शक्ति उत्पादन में उपस्थित चुनौतियां

  • बिजली का पर्याप्त उत्पादन
  • क्षमता का कम उपयोग
  • संचारण तथा वितरण की क्षति
  • बिजली बोर्डों के घाटे
  • कच्चे माल की कमी
  • निजी क्षेत्र की सीमित भूमिका

 शक्ति उत्पादन के संकट से निपटने  के लिए सुझाव

  • उत्पादन क्षमता में वृद्धि
  • कच्चे माल की पर्याप्त पूर्ति
  • निजी करण
  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा
  • संचारण तथा वितरण की क्षति पर रोक 

 स्वास्थ्य

  • स्वास्थ्य से अभिप्राय एक व्यक्ति की स्वस्थ शारीरिक एवं मानसिक स्थिति से है

अच्छे स्वास्थ्य के कारण

  • उत्पादकता में वृद्धि होती है
  • मानसिक क्षमताओं का विकास होता है
  • दबाव में काम करने की क्षमता का विकास होता है

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्वास्थ्य व्यवस्था

  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र पर ध्यान दिया गया जिसकी वजह से स्वास्थ्य क्षेत्र का विकास हुआ और देश  के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों में सुधार हुआ
  • उदाहरण के लिए: –
    • मृत्यु दर में कमी
    • शिशु मृत्युदर में कमी
    • जीवन प्रत्याशा में वृद्धि
    • जानलेवा बीमारियों पर नियंत्रण
    • लोगों में जागरूकता

निजी क्षेत्र एवं स्वास्थ्य व्यवस्था

  • स्वतंत्रता के बाद  से भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी तेज़ी से बढ़ी है
  • भारत में लगभग 70% अस्पताल   एवं 60% दवा खाने निजी क्षेत्र द्वारा संचालित किए जाते हैं 
  • भारत के निजी क्षेत्र का कुल स्वास्थ्य में 80% से ज्यादा हिस्सा है
  • इस प्रकार निजी क्षेत्र भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख प्रदानकर्ता के रूप में उभरा है


भारत में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

  • स्वास्थ्य सेवाओं का असमान वितरण
  • संक्रामक बीमारियां
  • खराब प्रबंधन
  • निजी करण
  • घटिया रखरखाव
  • सफाई का निम्न स्तर

भारतीय चिकित्सा पद्धति

  • भारतीय चिकित्सा पद्धति से अभिप्राय चिकित्सा की उस व्यवस्था से है जो या तो भारत में पैदा हुई या जो भारत के बाहर से आई पर धीरे धीरे भारतीय संस्कृति में शामिल हो गई
  • भारत में वर्तमान में 6 मान्यता प्राप्त भारतीय चिकित्सा पद्धतिया है
    • आयुर्वेद
    • योग
    • यूनानी
    • सिद्ध 
    • प्राकृतिक चिकित्सा
    • होम्योपैथी

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