पाठ – 6
वसंत आया
This post is about the detailed notes of class 12 Hindi Chapter 6 vasant aaya in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Hindi as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.
यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 हिंदी अध्याय 6 वसंत आया के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में हिंदी पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।
रघुवीर सहाय का जीवन परिचय
- कवी रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर 1924 में उत्तर प्रदेश में हुआ और इनकी मृत्यु 1990 में हुई। इन्होंने अपनी शिक्षा लखनऊ से पूरी की और 1951 में अंग्रेजी साहित्य से MA करने के बाद प्रतीक पत्रिका में सहायक संपादक के रूप में अपने कार्य की शुरुआत की इसके बाद आकाशवाणी के समाचार विभाग में कार्यरत रहे और फिर कल्पना और दिनमान पत्रिका में संपादन का कार्य किया
- रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के इतिहास में नई कविता के कवि के रूप में जाने जाते हैं। यह तार सप्तक के महत्वपूर्ण कवियों में से एक है। तार सप्तक अज्ञेय द्वारा बनाई गई लेखकों की एक मंडली थी जिसमें 7 महत्वपूर्ण लेखक शामिल थे जो अपने लेखन द्वारा समाज में उपस्थित कुरीतियों और घटनाओं को दर्शाते थे
- आत्महत्या के विरुद्ध, हंसो हंसो जल्दी हंसो, लोग भूल गए हैं आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं
- रधुवीर सहाय जी को इनके सुप्रसिद्ध काव्य संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। इनकी कविताओं में मानवीय रिश्तो को एक सूत्र में बांधने का चित्रण मिलता है साथ ही साथ इनकी कविताओं में अन्याय एवं गुलामी के खिलाफ आवाज उठाने का भी दृश्य दिखाई देता है।
साहित्यिक विशेषताएं
- इन्हें नई कविता के मुख्य कवियों में से एक माना जाता है
- यह अपनी कविताओं द्वारा सामान्य व्यक्ति के जीवन में मौजूद समस्याओं का वर्णन किया करते थे
- इनकी कविताओं में मुख्य रूप से अकेलेपन असुरक्षा और पराए पन आदि का चित्रण किया गया है
भाषा शैली
- अनावश्यक शब्दों का प्रयोग ना करना
- बिंबात्मक लेखन
- व्यंगात्मक भाषा
- खड़ी बोली
वसंत आया कविता का सारांश
वसंत आया कविता में कवि रघुवीर सहाय द्वारा मनुष्य और प्रकृति के बीच के टूटते संबंध को दर्शाया गया है कवि कहते हैं कि वर्तमान में मनुष्य अपने जीवन में इतना ज्यादा व्यस्त हो गया है की वसंत ऋतु के आने का अनुभव भी नहीं कर पाता। वसंत के आने का पता उसे केवल कैलेंडर देखकर ही चलता है कवि ने इस कविता की रचना इसीलिए की है ताकि वह इसे पढ़ने वाले को उस वसंत ऋतु का अनुभव करा सके जिसे वह भूल चुका है
वसंत आया कविता की व्याख्या
जैसे बहन ‘दा’ कहती है
ऐसे किसी बंगले के किसी तरु (अशोक?) पर कोइ चिड़िया कुऊकी
चलती सड़क के किनारे लाल बजरी पर चुरमुराये पांव तले
ऊंचे तरुवर से गिरे
बड़े-बड़े पियराये पत्ते
कोई छह बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहायी हो-
खिली हुई हवा आयी फिरकी-सी आयी, चली गयी.
ऐसे, फ़ुटपाथ पर चलते-चलते-चलते
कल मैंने जाना कि वसंत आया।
- सुबह सुबह जब कवि अपने घर से सैर करने के लिए निकलते हैं तो सैर करते हुए उन्हें एक चिड़िया की आवाज आती है जो एक पेड़ की डाल पर बैठी चहचहा रही थी कवि कहते हैं कि उस चिड़िया की आवाज बिल्कुल उसी तरह मधुर थी जैसे उनकी बहन उन्हें ‘दा’ कहकर बुलाती थी
- सैर करते हुए कवि को सुबह जमीन पर कुछ पीले सूखे पत्ते दिखाई देते हैं जो पांव रखने के कारण चुरमुरा रहे थे
- आगे कवि कहते हैं कि सुबह की ठंडी हवा ऐसी लग रही थी मानो वह अभी-अभी ठंडे पानी से नहा कर ताजगी से भर गई हो
और यह कैलेण्डर से मालूम था
अमुक दिन वार मदनमहीने के होवेगी पंचमी
दफ़्तर में छुट्टी थी- यह था प्रमाण
और कविताएं पढ़ते रहने से यह पता था
कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल
आम बौर आवेंगे
रंग-रस-गंध से लदे-फदे दूर के विदेश के
वे नंदनवन होंगे यशस्वी
मधुमस्त पिक भौंर आदि अपना-अपना कृतित्व
अभ्यास करके दिखावेंगे
यही नहीं जाना था कि आज के नगण्य दिन जानूंगा
जैसे मैंने जाना, कि वसंत आया।
- आगे कवि कहते हैं की कविताएं पढ़ते-पढ़ते वह जान गएथे की जब लाल-लाल पलाश के फूल खिलने लगेंगे और आम के पेड़ में बोर निकल आएंगे तो वह दौर वसंत का दौर होगा
- जब वसंत आएगा तो ना सिर्फ पृथ्वी बल्कि देवराज इंद्र के लोक में भी सुंदरता छा जाएगी। भौरे और मधुमक्खियां सब वसंत के आने का उत्सव मनाएंगे और फूलों का रस पीसकर अपने जीवन का कर्तव्य निभाने लगेंगे।
- पर आगे कवि कहते हैं कि मैंने कभी यह सोचा नहीं था कि कैलेंडर पर देख कर मुझे यह एहसास होगा कि वसंत आ चुका है
- वर्तमान में मनुष्य प्रकृति से इतना ज्यादा दूर हो गया है कि उसे वसंत पंचमी के दिन जो छुट्टि मिलती हैं उसी से उसे एहसास होता है कि वसंत आ गया है वह प्रकृति की सुंदरता का कभी अनुभव नहीं कर पाता और ना ही इसे पहचान पाता है
विशेष
- कवि की भाषा बहुत सरल और भावों से भरी हुई है
- कविता में कवि द्वारा वसंत आगमन का सजीव चित्रण किया गया है
- कवि ने कविता के माध्यम से मनुष्य और प्रकृति के बीच बढ़ती हुई दूरियों का वर्णन किया है
- अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है
- यह एक छंद मुक्त कविता है
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