जल संसाधन (CH-6) Notes in Hindi || CBSE Board Class 12 Geography Chapter 6 Notes in Hindi ||

पाठ – 6

जल संसाधन

This post is about the detailed notes of class 12 Geography Chapter 6 jal sansaadhan (Water Resources) in Hindi for CBSE Board. It has all the notes in simple language and point to point explanation for the students having Geography as a subject and studying in class 12th from CBSE Board in Hindi Medium. All the students who are going to appear in Class 12 CBSE Board exams of this year can better their preparations by studying these notes.

यह पोस्ट सीबीएसई बोर्ड के लिए हिंदी में कक्षा 12 भूगोल  अध्याय 6 जल संसाधन के विस्तृत नोट्स के बारे में है। इसमें सभी नोट्स सरल भाषा में हैं और सीबीएसई बोर्ड से हिंदी माध्यम से 12वीं कक्षा में एक विषय के रूप में भूगोल पढ़ने वाले छात्रों के लिए उपयोगी है। वे सभी छात्र जो इस वर्ष की कक्षा 12 सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, इन नोट्स को पढ़कर अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।

BoardCBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectGeography
Chapter no.Chapter 6
Chapter Nameजल संसाधन (Water Resources)
CategoryClass 12 Geography Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Geography Chapter 6 Jal sansadhan in Hindi
Class 12th (Geography) Ch 6 (Jal sansadhan) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | जल संसाधन | Book – 2 |

जल संसाधन 

जल संसाधन

  • हमारी पृथ्वी का लगभग 71% हिस्सा पानी से घिरा हुआ है, परंतु इसमें से केवल 3% पानी ही पीने योग्य है। 
  • हर सामान्य व्यक्ति द्वारा अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जल का उपयोग किया जाता है, इसीलिए जल सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है। 

भारत के जल संसाधन 

  • भारत में विश्व के धरातल क्षेत्र का लगभग 2.45% हिस्सा है, जबकि भारत में उपस्थित जल संसाधनों की मात्रा विश्व के 4% के बराबर है और विश्व की लगभग 16% जनसंख्या भारत में निवास करती है। 

जल संसाधनों का वर्गीकरण 

  • जल संसाधनों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है: – 
  • धरातलीय जल संसाधन 

  • धरातलीय जल संसाधन भारत में धरातलीय जल संसाधन के मुख्य चार स्रोत हैं: – 
    • नदिया 
    • झीलें  
    • तैलया  
    • तलाब
  • भारत में कुल 10360 नदिया एवं उप नदियाँ हैं।  
  • जिसमें प्रत्येक उप नदी की लंबाई 1.6 किलोमीटर से अधिक है, इनका औसत वार्षिक प्रभाव 1869 घन किलोमीटर होने का अनुमान लगाया गया है।
  • परंतु स्थलाकृतियों और अन्य दबावों के कारण इसमें से केवल 690 घन किलोमीटर जल का ही प्रयोग किया जा सकता। 
  • भूमिगत जल संसाधन

    • भारत में भूमिगत जल संसाधनों की मात्रा लगभग 4321 किलोमीटर है। 
    • इसका लगभग 46% हिस्सा गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिन में पाया जाता है। 
    • भारत में भौम जल का सर्वाधिक प्रयोग हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में किया जाता है। 
    • छत्तीसगढ़, उड़ीसा और केरल जैसे राज्यों में भौम जल का प्रयोग सबसे कम किया जाता है, एवं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों में भौम जल का मध्यम दर से इस्तेमाल किया जाता है। 

भारत में जल की मांग और जल का उपयोग

  • भारत शुरुआत से कृषि प्रधान देश है। 
  • आजादी के समय भारत की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी।  
  • ऐसे में भारत में उपलब्ध जल संसाधनों का सबसे ज्यादा प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। 
    • कृषि को बढ़ावा देने एवं सिंचाई की व्यवस्था को सुधारने के लिए कई बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना को बनाया गया।  
    • उदाहरण के लिए 
      • भाखड़ा नांगल बांध 
      • हीराकुंड बांध 
      • इंदिरा गांधी नहर परियोजना आदि। 

सिंचाई के लिए जल की मांग

  • भारत में जल संसाधनों का एक बड़ा भाग कृषि में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।  
  • ऐसा इसलिए है, क्योंकि देश के कई क्षेत्रों में वर्षा होने की संभावना काफी कम होती है, जिस वजह से उपलब्ध जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। 
  • भारत के उत्तर पश्चिम दक्कन क्षेत्रों में सूखे का प्रभाव ज्यादा रहता है, जिस वजह से सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है।  
  • भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसी वजह से सिंचाई के लिए जल की मांग अधिक है। 
  • भारत की कृषि संबंधित मांगों को पूरा करने के लिए बहुफसलीय व्यवस्था को अपनाया जाता है, जिसके लिए सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है, अधिक उपज वाली फसलों में सिंचाई की मांग ज्यादा होती है।  

जल संबंधित समस्याएं

  • देश में बढ़ रही जनसंख्या के कारण देश में जल की उपलब्धता घटी है। 
  • कृषि में उर्वरकों के प्रयोग के कारण जल प्रदूषण में वृद्धि हुई है। 
  • उद्योगों द्वारा अपशिष्ट पदार्थों को नदियों में बहाए जाने के कारण जल प्रदूषण बड़ा है। 
  • मनुष्य द्वारा गैर जिम्मेदाराना तरीके से जल उपयोग किए जाने के कारण जल संसाधनों में कमी आई हैं। 
  • भौम जल का अत्यधिक शोषण करने के कारण देश के कई क्षेत्रों में भौम जल के स्तर में गिरावट आई है। 

जल संरक्षण एवं प्रबंधन

  • जल मनुष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है, इसी वजह से जल का संरक्षण करना एवं उचित प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है। 
  • जल प्रदूषण का निवारण 

    • भारत की कई मुख्य नदियां (जैसे कि यमुना और गंगा) जल प्रदूषण की समस्या से जूझ रही हैं। 
    • उद्योगों द्वारा अपशिष्ट सीधा नदियों में बहाया जाना, लोगों द्वारा नदियों में कचरा डाला जाना इसका मुख्य कारण है। 
    • जल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जरूरी है, कि लोगों को जागरूक किया जाए और औद्योगिक अपशिष्टों को नदियों में बहाने से पहले रसायन मुक्त किया जाए। 
  • जल का पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग

  • जल का पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग करके जल संबंधित समस्याओं को कम किया जा सकता है। 

जल संभार प्रबंधन 

  • जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत बहते जल को रोक कर अलग-अलग विधियों (जैसे की अंतःस्रवण तालाब, पुनर्भरण कोष आदि) के द्वारा भौम जल का पुनर्भरण किया जाता है। 
  • इसकी सफलता मुख्य रूप से समाज के सहयोग पर निर्भर करती है।  
  • इससे संबंधित कई कार्यक्रमों को केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारों तथा NGO द्वारा चलाया गया है।
  • उदाहरण के लिए
    • हरियाली – इसे केंद्र सरकार द्वारा चलाया गया।  
    • नीरू मीरू जल – इसे आंध्र प्रदेश की सरकार द्वारा चलाया गया। 
    • अरवारी पानी संसद – इसे राजस्थान की सरकार द्वारा चलाया गया। 

वर्षा जल संग्रहण

  • वर्षा जल संग्रहण से अभिप्राय वर्षा के दौरान जल को इकट्ठा करके भविष्य में उपयोग करने से है, इसे अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से किया जाता है। 
  • उदाहरण के लिए
    • ग्रामीण क्षेत्रों में जलाशयों तालाबों और झीलों में वर्षा के जल को इकट्ठा किया जाता है, यह जल धीरे धीरे जमीन में चला जाता है जिससे भौम जल की पूर्ति होती है। 
    • राजस्थान में वर्षा जल संग्रह कुंड एवं टाका नाम से प्रचलित है। 

 

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